प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग अब अस्पतालों की संख्या बढ़ा रहा है। वर्तमान में मरीजों के लिए 6000 बेड उपलब्ध है। इसमें एम्स 500, अंबेडकर 500 व माना में 100 बेड का अस्पताल तैयार है।
इसके अलावा बिलासपुर, अंबिकापुर, राजनांदगांव व रायगढ़ में मरीजों को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर निजी अस्पतालों को भी अधिग्रहित किया जाएगा। इसके लिए आईएमए से स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की बैठक पहले ही हो चुकी है। प्रदेश में कोरोना का पहला केस तीन माह पहले आया था और अब तक 153 मरीज मिल चुके हैं। अभी राजधानी समेत प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में 89 मरीजों का ईलाज चल रहा है। 62 संक्रमित स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
अफसरों ने बताया कि प्रदेश में छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अलावा 28 जिला अस्पतालों के अलावा 150 से ज्यादा सीएचसी हैं। सभी जगह क्षमता के हिसाब से कोरोना संक्रमितों के लिए आइसोलेटेड वार्ड तैयार किया गया है। अस्पताल गाइडलाइन के अनुसार बन रहा है या नहींस इसकी मानीटरिंग कोरोना कोर कमेटी में शामिल डॉक्टर कर रहे हैं। इसमें अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक समेत चेस्ट एक्सपर्ट व एनेस्थेटिस्ट शामिल हैं। आने वाले दिनों में जिस जिले में मरीज मिलेगा, उसे उसी जिले के अस्पताल में भर्ती करने की तैयारी है। फिलहाल सरगुजा संभाग के मरीजों को अंबिकापुर में भर्ती किया जाएगा। जशपुर के मरीजों का रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में इलाज होगा। वहीं बस्तर संभाग के मरीजों को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज व माना, रायपुर व दुर्ग संभाग के मरीजों को एम्स के अलावा अंबेडकर व माना में भर्ती किया जाएगा।
चेस्ट के अलावा शिशु रोग विशेषज्ञ करते हैं इलाज
कोरोना के मरीजों का इलाज चेस्ट के अलावा बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ करते हैं। वयस्क व बुजुर्गों का इलाज चेस्ट व बच्चों का इलाज पीडियाट्रिशियन करते हैं। अब सर्जन, ऑर्थो, स्किन, साइकेट्री, नेत्र व पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के लिए मेडिकल संबंधी बीमारी के इलाज सीखने का यह पहला मौका है। आने वाले दिनों में मरीजों के बढ़ने की आशंका को देखते हुए सभी विभागों के डॉक्टरों को ट्रेनिंग के साथ इलाज का मैनेजमेंट सिस्टम बताया जा रहा है, ताकि विषम परिस्थितियों में सभी डॉक्टरों की मदद ली जा सके। कोरोना के इलाज में चेस्ट एंड टीबी एक्सपर्ट के अलावा हार्ट, किडनी व डायबिटीज के विशेषज्ञों की खासतौर पर जरूरत पड़ सकती है। हालांकि प्रदेश में ऐसा कोई मरीज नहीं आया है, जिन्हें चेस्ट के अलावा दूसरी बीमारियों के एक्सपर्ट की जरूरत पड़ी हो।
गंभीर मरीज अंबेडकर में
माना में उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जाएगा, जो गंभीर नहीं है अथवा वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है। हालांकि माना में भी वेंटिलेटर है। माना व एम्स में अंबेडकर अस्पताल के जनरल सर्जन, ऑर्थोपीडिक विशेषज्ञ, साइकेट्रिस्ट, स्किन, नेत्र और पैथोलॉजिस्ट एम्स में कोरोना के मरीजाें के इलाज का तरीका सीख रहे हैं। कोरोना वार्ड में ड्यूटी शेड्यूल के पहले दिन तीन विभाग के एचओडी के साथ 16 डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने एम्स में ड्यूटी की। 24 जून तक 72 डॉक्टरों समेत जूडो व नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है। डॉक्टरों को निमोरा में क्वारेंटाइन किया गया है। वे वहीं से एम्स जा रहे हैं। ड्यूटी के दाैरान 14 दिनों तक वे घर नहीं जा पाएंगे। ड्यूटी के बाद फिर 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया जाएगा।
"हमने काफी कम समय में पर्याप्त सुविधाएं जुटा ली है। प्रवासी मजदूरों के आने से बढ़ती संख्या को देखते हुए और बिस्तरों का इंतजाम कर रहे हैं। इसके लिए भविष्य में निजी अस्पतालों मंे भी बिस्तरो की व्यवस्था की जाएगी।"
-टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छग
"माना में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। प्रदेशभर में आइसोलेटेड वार्ड बनाए जा रहे हैं। ये इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन पर ही बनाए गए हैं।"
-डॉ. आरके पंडा, चेस्ट विशेषज्ञ व सदस्य कोरोना कोर कमेटी
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