पंजाब में पराली जलाने में पिछले 3 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। लगातार खराब हो रहे सूबे के वातावरण के पीछे यह भी बड़ा कारण है। यह दावा लुधियाना के रिमोट सेंसिंग सेंटर ने पराली जलाने के मामले में किया हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 3 सालों का रिकॉड टूट चुका है। 2018 में जहां 10,832 घटनाएं, 2019 में 8921 घटनाएं हुई थीं। जानकारों का कहना है कि इस साल सीजन में सख्ती करने वाली सरकार व प्रशासन कोरोना को रोकने की लड़ाई में व्यस्त हैं।
इस बात का फायदा उठाते हुए कुछ किसान ऐसा कर रहे हैं। नतीजन 25 अप्रैल से लेकर 22 मई तक यानी 27 दिनाें में 11014 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। सबसे ज्यादा 1051 घटनाएं बठिंडा में हुईं। वहीं, अभी तक किसानों पर 273 केस दर्ज किए गए हैं। इसमें संगरूर में 98, मानसा में 89, गुरदासपुर में 75, कपूरथला में 6, फिराेजपुर में 2, हाेशियारपुर, लुधियाना, तरनतारन में 1-1 केस दर्ज किए गए हैं।
पराली जलाने वालों की गिरदावरी में रेड एंट्री
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर करुणेश गर्ग ने बताया पराली जलाने वाले किसानों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। ऐसे किसानों की प्रशासन ने गिरदावरी में रेड एंट्री की। सूबे में 429 किसानों की गिरदावरी में हुई है।
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