विकास सोनी | अम्बेडकर अस्पताल में गुरुवार दोपहर एक कोरोना संदिग्ध की मौत हो गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिमगा से रेफर किया गया मरीज दो घंटे तक इलाज के लिए तड़पता रहा। लेकिन फॉर्म भरने, एमएलसी बनवाने और कोविड संदिग्ध को कहां भर्ती किया जाए, इसी कश्मकश में मरीज ने दम तोड़ दिया और किसी ने जांच के लिए हाथ तक नहीं लगाया। 40 वर्षीय संजय नामक मरीज को कफ, ठंड, फीवर और सांस लेने की शिकायत पर अम्बेडकर अस्पताल रेफर किया गया। पेशे से ट्रक ड्राइवर होने के कारण मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री भी मध्यप्रदेश से थी। इस वजह से उसे कोरोना संदिग्ध माना जा रहा था। 108 के कर्मचारी मरीज को लेकर 11:15 बजे अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे और 11:29 बजे ओपीडी की पर्ची कटवाई। वहीं, परिजन नहीं होने से मरीज का एमएलसी करवाया गया। इसके बाद कोविड स्क्रीनिंग सेक्शन, कोविड ओपीडी और आइसोलेशन वार्ड के बीच दो घंटे तक मरीज को घुमाया गया। इसके बावजूद कहीं भी किसी डॉक्टर ने मरीज को हाथ तक नहीं लगाया। अंतत: मरीज ने दम तोड़ दिया और आइसोलेशन वार्ड के बाहर बिना मरीज को हाथ लगाए ही बॉडी से कोई रिएक्शन नहीं मिलता देख उसे मृत घोषित कर दिया।
पर्ची बनते तक जिंदा रहा मरीज : 108 के ईएमटी बसंत वर्मा ने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी और वह रास्तेभर बातचीत करते हुए आया। वहीं, पर्ची बनने तक मरीज ठीक था। जैसे जैसे देरी होती गई, मरीज अचेत होता गया और वह स्ट्रेचर से नीचे एंबुलेंस के फ्लोर पर गिर गया और बेसुध हो गया।
पीपीई किट पहनने में ही बिता दिए एक घंटे : कोविड ओपीडी के डॉक्टर्स एंबुलेंस में पड़े मरीज को देखने सीढ़ियों से उतरे तक नहीं। जबकि मरीज को स्ट्रेचर से ऊपर ले जाने के लिए वार्ड ब्वॉय और अन्य स्टाफ ने पीपीई किट पहनने में ही एक घंटे का वक्त लगा दिया।
108 कर्मियों को भी नहीं दिए गए सुरक्षा उपकरण : कोरोना सस्पेक्ट मानकर सिमगा सीएचसी से मरीज को रेफर तो कर दिया गया। लेकिन 108 के कर्मचािरयों को न तो ग्लब्स दिए गए और न ही किसी प्रकार के सुरक्षा उपकरण। ऐसे में अचेत होकर एम्बुलेंस के फ्लोर पर गिरने के बाद किसी ने भी मरीज को हाथ तक नहीं लगाया और वह एक घंटे से ज्यादा समय तक उसी अवस्था में पड़ा रह गया।
मरीज पहले से ही सीरियस था
"मामले की पूरी जानकारी ताे नहीं है, लेकिन इतना मालू्म है कि पेशेंट पहले से ही सीरियस था। फिर भी मैं एक बार चेक करवा लेता हूं। इएमटी-पायलट ऐसा बाेल रहे हैं, कि मरीज यहां आने और पर्ची कटवाने तक ठीक था ताे उनसे भी बात की जाएगी।"
-डाॅ विनीत जैन, अधीक्षक, अम्बेडकर अस्पताल
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