गणेश चतुर्थी पर श्री सर्वेश्वरी अघोरेश्वर आश्रम नारायणपुर चिटकवाईन में तांत्रिक गणेश की पूजा हुई। आश्रम में गणपति की साधना में लगातार जप किए गए।
अघोर परंपरा में गणेश की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है। भगवान गणेश को शत्रु बाधा निवारण और सभी विघ्नों को हरने वाला माना गया है। संस्कृत के विद्वान डाॅ. बीएन उपाध्याय के अनुसार नारायणपुर में तांत्रिक गणेश की पूजा से लोगो की मनोकामना पूर्ति के लिए करते हैं। यहां आकर भक्त गणेश की प्रतिमा के तीन परिक्रमा लगाने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि तांत्रिक गणेश की पूजा से वास्तु दोष का निवारण होता है और जिन विद्यार्थियों का विद्याध्ययन में मन नहीं लगता उन्हें भी तांत्रिक गणेश की उपासना से लाभ होता है। रानीकोंबो की गणेश प्रतिमा एवं उसे भगवान राम द्वारा स्थापित किए जाने की मान्यता के कारण वहां के लोगों की गहरी आस्था इस प्रतिमा से जुड़ी है। ग्रामीण अनंत साह का कहना है कि संकल्प पूर्वक इस प्रतिमा की अराधना करने से उन्हें चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इसलिए बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।
बाबा भगवान राम ने 80 के दशक में ओघड़ आश्रम में गणेश की प्रतिमा स्थापित की
श्री सर्वेश्वरी अघोरेश्वर आश्रम चिटकवाईन में 80 के दशक में बाबा भगवान राम ने ओघड़ गणेश की स्थापना की। हर साल सर्वेश्वरी आश्रम में गणेश चतुर्थी के दिन विशेष पूजा की जाती है। शनिवार को गणेश चतुर्थी घर-घर में गई। जशपुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर कुनकुरी जनपद के रानीकोंबो गांव से 3 किलोमीटर दूर ईब नदी के तट पर भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। राम के वनवास का अध्ययन कर रहे विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान राम ने वन जाने के दौरान यहां गणेश की प्रतिमा बनाकर स्थापित की थी। दिल्ली स्थित राम शोध संस्थान द्वारा राम वन पथ गमन का विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है। संस्थान के निदेशक डाॅ. राम अवतार शर्मा ने पिछले 40 वर्षों से राम वनगमन का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने देश में उत्तरप्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक 249 स्थल चयनित किए हैं, जहां भगवान राम वनवास के दौरान गए थे। उनका मानना है कि भगवान राम ने वन भ्रमण के दौरान ईब नदी की तट पर उन्होंने प्रतिमा को बनाकर स्थापित की थी। यह प्रतिमा अलौकिक है, लेकिन अब तक बाहर के लोगों की नजर इस पर नहीं पड़ी है।
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