Breaking

Friday, September 4, 2020

मुसीबतों को पार कर दे रहे शिक्षा

भास्कर न्यूज|बीजापुर
पिछले महीने बीजापुर जिले में आई बाढ़ के बाद जहां नदी-नाले उफान पर आ गए और सैकड़ों गांवों का सड़क संपर्क टूट गया। इसके बावजूद कई शिक्षकों ने अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा। बीजापुर जिले के मिंगाचल नदी के पार बसे कोटेर, जारगोया, चेरकंटी और चिन्नाजोजेर के शिक्षक रामचंद्रम वारगेम, सुधीर नाग, राजू पुजारी और हेमलाल रावटे कई तरह के खतरों के बीच भी अपने कर्तव्यों को पूरे जिम्मेदारी के साथ पूरा कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में भी जहां स्कूल बंद हैं, ये शिक्षक अपने बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए नदी पार कर मोहल्ला क्लास पहुंच रहे हैं।
बीजापुर से 30 किलोमीटर दूर चिन्नाजोजेर गांव जाने के लिए गंगालूर से रेड्डी होते हुए मिंगाचल नदी पार कर जाना होता है। इस गांव में एकमात्र शिक्षक हेमलाल रावटे नियमित तौर पर स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे ही जारगोया के शिक्षक सुधीर नाग बीते 15 साल से नदी को पार कर गांव के बच्चों को पढ़ाते चले आ रहे हैं। चेरपाल से अंदरूनी इलाके में बसे कोटेर गांव में 25 बच्चे हैं, जिनके लिए शिक्षक रामचंद्रम वारगेम मिंगाचल नदी पार कर पहुंच रहे हैं। ऐसे ही चेरकंटी गांव के शिक्षक राजू पुजारी भारी बारिश के बावजूद अपने स्कूल पहुंचते रहे।

कटेकल्याण ब्लॉक के दर्जनों स्कूल के शिक्षक दशकभर से 50 से ज्यादा गड्‌ढों को पार कर गांवों तक पहुंच रहे
नकुलनार| कटेकल्याण ब्लॉक के दर्जनों स्कूलों के शिक्षक बीते 10 साल से नक्सलियों द्वारा खोदे गए 50 से ज्यादा गड्‌ढाें को पार कर इलाके के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। दरअसल कटेकल्याण से मोखपाल जाने वाली सड़क को 10 साल पहले नक्सलियों ने 50 से अधिक जगह काट दिया था। इसके बाद इस सड़क की दोबारा मरम्मत नहीं की गई, लेकिन इस रास्ते में पड़ने वाले तेलम, टेटम, कोडरीपाल, जियाकोड़ता, एटेपाल जैसे गांवों में दर्जनों स्कूल हैं। इन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक 10 साल से मीलों के गड्‌ढों को पार कर पैदल पहुंच रहे हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Education is passing over problems


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jIwegk

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Pages