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Friday, September 4, 2020

जो छात्र ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे उन्हें पढ़ा रहे युवा

जिले के तीन काॅलेज छात्र, जिनकी चाहत है प्रोफेसर बनने की। कोरोना के चलते काॅलेज बंद होने से गांव में ही रहना पड़ रहा है। स्कूल भी बंद होने से गांव के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे। कुछ गरीबी तो कुछ नेटवर्क की समस्या के कारण ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड नहीं कर पा रहे थे।
ऐसे हालात में तीनों छात्रों ने अपने-अपने गांव में उन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया जो किसी कारण से ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे थे। तीनों ने एक-एक छात्रों से पढ़ाना शुरू किया और अब उनके पास 8 से 10 छात्र नियमित आ रहे हैं।

समाज सेवा के जज्बे से जुड़ गया अपने मन के काम में
चारामा के भानपुरी निवासी गोविंद सिन्हा कांकेर पीजी कालेज बीएससी का छात्र है। मन में शुरू से समाजसेवा का जज्बा होने के कारण गांव में पौधरोपण के अलावा कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजर आदि का महत्व बताते। लेकिन मन में कुछ और करने की इच्छा थी। ऐसे समय में प्रो. मनोज राव ने सुझाया गांव के जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाओ। एक दिन एक बच्चे को बैठाकर पढ़ाया तो मन को सुकून मिला। रोज पढ़ाने लगा। फिलहाल 8 बच्चे नियमित आ रहे हैं।

गांव में नेटवर्क की थी समस्या तो शुरू किया पढ़ाना
कोयलीबेड़ा विकासखंड के पीवी-78 गांव में रहने वाले जयंत सरकार पीजी काॅलेज कांकेर में एमकाॅम प्रीवियस के छात्र हैं। कोरोना के कारण काॅलेज बंद हुआ तो गांव में रहने लगे। प्रोफेसर डॉ. मनोज राव ने सुझाया कि गांव में जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाना शुरू करो। एक छात्र को पढ़ाना शुरू किया। गांव वालों को पता चला तो और भी बच्चे पढ़ने आने लगे। सभी को घर के सामने पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाता हूं। इससे मन को शांति भी मिलती है।

बच्चों के मन से गणित-अंग्रेजी का डर निकाल रहे


चारामा के ही रानीडोंगरी निवासी तिलेश्वर साहू भी पीजी कालेज कांकेर में बीएससी करने के बाद कंप्यूटर में डिप्लोमा कर रहे हैं। कोरोना के दौरान गांव के स्कूल बंद होने से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे। बच्चों की शिकायत थी ऑनलाइन क्लास में वे सहज नहीं हो पाते। फिर गणित और अंग्रेजी को लेकर बच्चों के मन में भय अलग रहता था। प्रोफेसर बनने की चाहत तो मन में है ही तो उन्होंने सोचा कि यहीं से सफर शुरू किया जाए। गांव के बच्चों को अंग्रेजी और गणित निशुल्क पढ़ाने लगे। फिलहाल 10 बच्चे पढ़ने नियमित आ रहे हैं।



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Students who are not able to join online classes are teaching them youth


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