संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। विश्व की सारी भाषाओं में संस्कृत के शब्द भरे पड़े हैं । सभी सभ्यता संस्कृति का आधार संस्कृत ही है। उक्त बातें पं मुकेश तिवारी ने कहीं। वे सनातन संस्कृति मंच के तत्वावधान में विश्व संस्कृत दिवस पर चैनपुर प्रखंड के चोटहांसा गांव में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत सरल व बोधगम्य भाषा है।यह हमारी सनातन संस्कृति का वाहक है। हमें इसे अक्ष्क्षुण बनाए रखना होगा। वर्तमान में संस्कृत उपेक्षित है।इसके पुनरुत्थान के लिए सार्थक पहल की आवश्यकता है। कहा कि पुरातन काल से ही संस्कृत वेद पुराण उपनिषदों व जन-जन की भाषा रही है । इसे देव भाषा भी कहा जाता है । युवा पीढ़ी को संस्कृत को आत्मसात करने की आवश्यकता है । अरविंद तिवारी ने कहा कि वर्तमान में संस्कृत सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है ।
यह सिर्फ कर्मकांड की भाषा बन कर रह गई है। संसाधनों के अभाव में संस्कृत शिक्षण शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन बाधित है। हमें संस्कृत की गौरवशाली परंपरा को कायम रखना होगा। पं अजय शंकर ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति का उद्भव हुआ है। सभ्यता संस्कार आदि शब्दों के मूल में संस्कृत ही है । कार्यक्रम में मां सरस्वती की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की गई। मां की आरती उतारी गई।साथ ही प्रसाद वितरण के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ। मौके पर प्रभात तिवारी अनमोल अंकुश आदि मौजूद थे।
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