दिलीप जायसवाल/अमित सोनी | सरगुजा संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बेहद खराब है। यहां के 12 से अधिक ऐसे सरकारी अस्पताल हैं जो एक साल से बंद पड़े हैं। ऐसे में वहां के ग्रामीणों को मध्य प्रदेश या 50 किमी दूर तक इलाज के लिए जाना पड़ता है। इन इलाकों से पिछले 3 साल में अब तक इलाज नहीं मिलने से 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इन अस्पतालों के नहीं खुलने का कारण जर्जर भवन और कुछ में डॉक्टरों का उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है। सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लाॅक के महुली पंचायत का उप स्वास्थ्य केंद्र 8 माह से बंद है। यहां पदस्थ हेल्थ वर्कर सस्पेंड है और प्रभार जिसे दिया गया है वह लापता रहता है। यहां 10 से अधिक ग्राम पंचायतों की 20 हजार आबादी निर्भर है। वहीं कोरिया, सरगुजा और बलरामपुर जिले के कई स्वास्थ्य केंद्रों की भी यही हालत है। जहां ग्रामीणों को इलाज नहीं मिलता है।
बिहारपुर सीएचसी में एंबुलेंस तक नहीं 3 साल में 60 लोगों की जा चुकी है जान
2017 में मौसमी बीमारियों और मलेरिया से कोल्हुआ और इससे लगे गांवों में 36 लोगों की मौत हो गई थी। 2018 में भी क्षेत्र के में बरसात में 24 लोगों की जान चली गई थी। वहीं 15 दिन पहले करौटी के चोंगा गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचने से एक युवक की सर्पदंश से घर में ही मौत हो गई थी। परिजन ने एंबुलेंस के लिए काॅल की तो सुरजपुर से 120 किमी जाने से इंकार कर दिया। बिहारपुर सीएचसी में भी एम्बुलेंस नहीं है।
भकुरा के ग्रामीण बोले- केंद्र बंद करने से भफौली व देवगढ़ की बढ़ गई 7 किमी दूरी
भकुरा उप स्वास्थ्य केंद्र के बंद रहने से यहां के लोगों को इलाज के लिए भफौली या फिर देवगढ़ जाना पड़ रहा है। इससे इन गांवों की दूरी 7 किमी तक बढ़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि भवन जर्जर बताकर उप स्वास्थ्य केंद्र को बंद कर दिया गया है। नया भवन नहीं बनने तक दूसरे भवन में केंद्र को चलना चाहिए। इससे लोगों को सुविधा होगी। वहीं यहां की टीम को परसोड़ी जाकर देखना चाहिए कि किस तरह से काम हो रहा है।
ऐसी है सरगुजा, सूरजपुर व कोरिया में अस्पतालों की हालत
भकुरा के उप स्वास्थ्य केंद्र में 10 माह से लटका ताला
सरगुजा की ग्राम पंचायत भकुरा के उप स्वास्थ्य केंद्र में 10 महीने से ताला लगा हुआ। इस केंद्र पर 3 हजार लोग निर्भर हैं। महिलाओं को डिलीवरी के लिए देवगढ़ भेजा जाता है। केंद्र बंद रहने की कई बार शिकायत की जा चुकी है। बीएमओ पीएल राजवाड़े का कहना है कि केंद्र का भवन जर्जर हो गया है। वहां मरीज भर्ती करना संभव नहीं है। यहां की टीम गांवों में घूमकर काम कर रही है। गर्भवती का पंजीयन है। टीम उन्हें अस्पताल पहुंचाती हैं।
8 साल पहले बना भवन हुआ जर्जर, शराबियों का बना अड्डा
गोदरीपारी लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम के पीछे 8 साल पहले उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था। जो कि अब भवन जर्जर होने के साथ ही शराबियों का अड्डा बन गया। यहां 6 वार्ड में करीब 12 हजार लोग रहते हैं। हालांकि एसईसीएल के कर्मचारियों का इलाज रीजनल अस्पताल में हो जाता है, लेकिन 50 हजार अन्य लोगों को जिला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा बाजार इलाज कराने जाना पड़ता है।
उप केंद्र शुरू नहीं किया डिस्पेंसरी भी कर दी बंद
गेल्हापानी-कोरिया 4 हजार की आबादी है, लेकिन यहां अंडर ग्राउंड माइंस बंद होने के साथ ही एसईसीएल द्वारा संचालित अस्पताल डिस्पेंसरी में तब्दील हो गया है। तो दूसरी ओर गेल्हापानी की डिस्पेंसरी पांच साल पहले ही बंद हो चुकी है। वहीं यहां भी 8 साल पहले उप स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कराया गया था, लेकिन इसकी शुरुआत अब तक नहीं की जा सकी है। यहां के लोग मजबूरी में जिला अस्पताल जाते हैं।
सीधी बात
एसपी डहरिया, ज्वाइंट डायरेक्टर, स्वास्थ्य विभाग
सवाल - उप स्वास्थ्य केंद्रों में 8-10 महीने से ताले लगे हुए हैं। आखिर ऐसी स्थिति क्यों है?
-शिकायत पर वहां की टीम को चेतावनी दी गई थी। कहा गया था कि स्वस्थ्य केंद्र किसी भी हाल में बंद नहीं होने चाहिए।
सवाल - चेतावनी बेअसर है। निर्देश के बाद भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुले?
-कुछ जगहों पर गड़बड़ी हो रही है। वहीं कोरोना के कारण भी लोड बढ़ गया है।
सवाल - यह जानने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
-सीएमओ को कार्रवाई का अधिकार है। जहां इस तरह की दिक्कत आ रही है। वहां के सीएमओ को देखना चाहिए।
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