गुमला ज़िला कांग्रेस कमेटी ने कांग्रेस कार्यालय में महान संथाल विद्रोह के नायक सिद्दो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो झानो समेत हज़ारों शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीदों के चित्र पर पुष्प माला अर्पित किया गया। उपाध्यक्ष मानिक चंद साहू ने कहा कि मौजूदा साहेबगंज के भोगनाडीह गांव जो उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी का अंग था। संथाल परगना के इस गांव में खेती बाड़ी संथालियों का जीवन यापन का मुख्य स्रोत था।
उस समय अंग्रेज़ी सरकार जबरन ज़्यादा लगान वसूलना चाहती थी। साहूकार अलग आर्थिक रूप से तंग करते थे। जिससे तंग आकर सिद्दो मुर्मू, कान्हू मुर्मू और इनके दो भाई चांद मुर्मू व भैरव मुर्मू ने 30 जून 1855 को अपने गांव भोगनाडीह में सभा कर लगभग 20 हजार संथालियों को एकत्रित करके अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह में इनकी दो बहनें फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू भी शामिल हुई। इन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए।
इन्होंने कई अंग्रेजों को मारा। अंत में 26 जुलाई को सिद्दो-कान्हू दोनों भाइयों को अंग्रेजों ने पकड़ लिया और भोगनाडीह में खुलेआम पेड़ से लटकाकर फांसी दे दी गई और हमारे वीर क्रांतिकारी शहीद हो गए। आज इसी से प्रेरित होकर हुल दिवस मनाया जाता है। मौके पर वरीय उपाध्यक्ष मानिक चन्द साहू, अकील रहमान, रमेश कुमार चीनी, आशिक अंसारी, मुरली मनोहर प्रसाद, अरुण गुप्ता, मो इम्तेयाज़, निशांत दुबे, शाहजहां अंसारी के साथ अन्य कई कांग्रेसी मौजूद थे।
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