शहर के सुन्नी मुसलमानों की मस्जिद के मौलाना की कोरोना से मौत हो गई। मौलाना कोरोना पॉजिटिव था, इसका खुलासा उसकी मौत के बाद हुआ। घटना के बाद एक बार फिर शहर में हड़कंप मचा है। लोग डरे हुए हैं और सामुदायिक संक्रमण का खतरा भी शहर में बढ़ गया है। मौलाना शहर के सरस्वती शिशु मंदिर के बेहद करीब बनी वहाबी सुन्नी की मस्जिद में कार्यरत थे। इनकी उम्र 52 वर्ष थी।
ये पिछले सप्ताह सर्दी-खांसी एवं बुखार से पीड़ित थे, जिसके बाद रायगढ़ में रहने वाली उनकी बेटी और दामाद इलाज के लिए अपने साथ रायगढ़ ले गए थे। जहां 3 अगस्त को मौलाना की अचानक मौत हो गई। घटना के बाद रायगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने मौलाना का आरटीपीसीआर टेस्ट कराया, जिसमे रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। मौलाना का अंतिम संस्कार के लिए उसे सीधे रायगढ़ से झारसुगड़ा ओडिशा ले जाया गया था।
बताया जाता है कि मौलाना का पैतृक निवास झारसुगुड़ा ओडिशा है, पर शहर के मस्जिद में मौलाना की पदस्थापना रहने से क्षेत्र के लोगो में दहशत व्याप्त है। बताया जाता है कि शहर में सिया एवं सुन्नी समुदाय के मुसलमानों की दो मस्जिद हैं। सुन्नी समुदाय के लोगो ने इबादत के लिए मस्जिद का अलग से निर्माण करा रखा है। इस मस्जिद के आस-पास लगभग सौ से भी अधिक घर मौजूद हैं। मौलाना का सुन्नी समुदाय के लोगों के अलावा अन्य मुस्लिम परिवार में भी आना जाना लगा रहता था।
ब्लाॅक से अब तक मिल चुके हैं 14 संक्रमित
मौलाना की मौत के बाद आरटीपीसी.आर टेस्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। यदि मौलाना की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हुई है तो यह जिले में अब तक का पहला मामला है। इस कारण लोगो में और अधिक डर समाया हुआ है। दो दिन के अंतराल में ब्लाक से 14 संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने के बाद जिला कलेक्टर महादेव कावरे ने एक बार फिर शहर को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। शुक्रवार से आगामी सात दिनों के लिए शहर को कंटेनमेंट जोन के दायरे मे रखा गया है।
कैसे ह़ुआ संक्रमित नहीं चल रहा पता, तबलीगी जमातियों की है मस्जिद
मौलाना सुन्नी मस्जिद में कार्यरत था, जिसे मानने वाले मोहल्ले में पांच से छह परिवार निवास करते हैं। इन सभी घरो में मौलाना का आना-जाना लगा रहता था, जिसके कारण अब प्रशासन के सामने कांटेक्ट ट्रेसिंग की समस्या आ खड़ी हुई है। बीएमओ डॉ. जेम्स मिंज ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग का एक दल मौलाना के संपर्क में आने वाले लोगो की ट्रेसिंग के लिए मस्जिद के पास मोहल्ले में गया था। उन्होंने बताया कि मौलाना की ट्रेवल हिस्ट्री का अभी तक कुछ पता नहीं चला पाई है, जिसके कारण वह किसके संपर्क में आया ये अभी ठीक से कहा नहीं जा सकता। उक्त मस्जिद में तबलीगी जमात से जुड़े लोगों का आना-जाना बने रहता है। बताया जाता है कि तबलीगी जमात से जुड़े लोगों द्वारा ही इस मस्जिद का निर्माण किया गया है।
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