कृषि के क्षेत्र में किसानों की सहायता को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र मांडू निरंतर कार्यरत है। इस बात की जानकारी देते हुए केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. डीके राघव ने बताया कि वैश्विक महामारी के इस दौर में बेरोज़गारी काफी हद तक बढ़ गई है। प्रवासी मजदूरों के घर लौटने के कारण खेती में अधिक मजदूर कार्य कर रहे हैं| इन परिस्थितियों में किसानों को इस वर्ष के अच्छे मानसून का भरपूर लाभ लेने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि कामगारों कि अधिकता की वजह से जिले के सभी प्रखंडों में लगभग शत-प्रतिशत धनरोपनी हो चुकी है। परंतु अब किसानों के सामने फसल को तना बेधक, पत्ती मोड़क कीटों एवं जीवाणु पत्ती, अंगमारी एवं झोंका रोग आदि बीमारियों से बचाने की चुनौती है। जिससे कि उत्पादन की कमी को रोका जा सके। डॉ राघव ने अगेती सब्जी जैसे मटर, फ्रेंच बीन, अगेती आलू, स्ट्रॉबेरी बटन मशरुम आदि की खेती कर किसान व ग्रामीण युवक युवतियां ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
इसके प्रशिक्षण के लिए अधिक से अधिक कृषक या ग्रामीण बेरोजगार युवक/युवतियां कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करने की सलाह दी है। वहीं केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के आशीष बालमुचू ने कहा कि बीते दिनों में दक्षिणी झारखण्ड के आस-पास चक्रवात के कारण प्रदेश में जो झमाझम वर्षा हुई है। इसके कारण निचले जमीन के सभी खेतों में जल-जमाव की स्थिति है।
इसी तरह का निम्न दबाव का क्षेत्र पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में फिर से बनने वाला है। जिसके कारण 25 अगस्त के आस-पास फिर से प्रदेश में (मध्य झारखण्ड) में भारी से अत्यंत भारी वर्षा की चेतावनी भारत मौसम विभाग द्वारा जारी की गई है। इस समय में कुछ इलाकों में मेघ गर्जन तथा वज्रपात की भी आशंका जताई गई है। इसके लिए उन्होंने किसानों को चक्रवात की स्थिति बनने से पहले ही अपने खेतों के मेढ़ों को दुरुस्त करने की सलाह दी है।
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