पर्यूषण पर्व के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम का समापन रविवार को सामूहिक क्षमापना के साथ हुआ। विभिन्न प्रान्तों के साधक-साधिकाओं ने विभिन्न तपस्याओं की आराधना करके अपने कर्मों की निर्जरा की। क्षमापना के कार्यक्रम के साथ ही विश्व तारणहार ट्रस्ट एवं जैन सभा की तरफ से सभी तपस्वियों का अभिवादन करते हुए साता पूछा गया। इससे पूर्व जैनमुनि डॉ. पद्मराज महाराज और गुरुमां ने विभिन्न स्तुतियों एवं मंत्रों का गान करके पर्यूषण पर्व सम्पन्न कराया। उन्होंने देश-विदेश के सभी भक्तों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। डॉ. पद्मराज जी महाराज ने कहा कि क्षमा मांगने से भी कठिन कार्य है क्षमा करना। आदमी अक्सर अपने विरोधी के लिए बोलता है कि मैं उसे जिंदगी भर माफ नहीं करूंगा। यह संकीर्ण सोच का परिणाम है।
ऐसा व्यक्ति जिंदगी भर क्रोध की अग्नि में जलता रहता है और अपना इहलोक तथा परलोक दोनों को बिगाड़ देता है। सांवत्सरिक प्रतिक्रमण की साधना व्यक्ति के नर्कगमन का मार्ग बंद कर देवलोक का मार्ग प्रशस्त करती है। इस पर्व के दिन अंतगढ़ सूत्र का समापन करते हुए अंतकृत केवलियों की कथा का श्रवण करना पुण्य कार्यों में माना जाता है। आठ दिनों में साधक अपनी क्षमतानुसार तपस्या करते हैं। तीर्थंकर महावीर कहते हैं की करोड़ों भवों के संचित कर्म तप द्वारा निर्जरित हो जाते हैं। अपनी इच्छा पर विजय पाना ही तपस्या है। जगत में एक मात्र आत्मतत्व शाश्वत है और उसकी उपलब्धि तपस्या द्वारा ही संभव है।
तप की ताकत से देवशक्ति भी प्रभावित हो जाती है। इससे पूर्व प्रातःकालीन प्रार्थना सभा में उपस्थित होकर गुलाब जैन, कन्हैया अग्रवाल, योगेंद्र रोहिल्ला, प्रवीण जैन, सुनीता जैन, रेखा जैन, सारिका जैन आदि ने क्षमापना पर्व मनाया। सभी भक्तों ने गुरुमां के साथ मिलकर पूज्य गुरुदेव डॉ. पद्मराज महाराज से नौ दिवसीय पर्यूषण व्रत का पारणा करवाया। ऑनलाइन प्रवचन सभा में गुरुमां ने गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश डाला। राजेश माटलिया, पूनम जैन, धृति तातेड़, संगीता तातेड़, लता जैन ने भी भजन एवं वक्तव्य के द्वारा कृतज्ञता के भाव अभिव्यक्त किये। जैन सभा की तरफ से रामप्रताप शर्मा ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ पद्मराज महाराज ने 11 तपस्वियों को अठाई तप का पारणा करवाया। कार्यक्रम का संचालन लता जैन ने किया।
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