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Monday, August 3, 2020

ये है हमारे बस्तर का रामेश्वरम्... रामपाल; अब राम वनगमन पथ से जुड़ेगा

रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने लंका कूच से पहले जिस तरह शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी, उसी तरह उत्तर से दक्षिण भारत में प्रवेश से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के रामपाल नाम की जगह में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी।
रामपाल बस्तर जिले में स्थित है, जहां प्रभु राम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी विद्यमान है। दक्षिण प्रवेश से पहले प्रभु राम ने रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भूदेवी की आराधना की थी। शासन ने अब दोनों स्थानों को भी अपने नए पर्यटन सर्किट में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है। जल्द ही यह काम शुरू कर दिया जाएगा। यह काम प्रदेश के नए पर्यटन सर्किट के माध्यम से किया जाएगा।
भगवान राम द्वारा स्थापित शिवलिंग वाले स्थान रामपाल की दूरी बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 10 किलोमीटर है। यह शिवलिंग के रामायणकालीन होने की पुष्टि विद्वानों ने और शोध संस्थानों ने की है। सुकमा जिले का रामाराम राज्य की सीमा के पास स्थित है, जहां से आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की भी सीमाएं पास ही हैं। रामाराम के नए पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास के साथ ही सुकमा जिले को नई पहचान भी मिलेगी।

योजना में 75 स्थानों को चिह्नांकित किया गया
राम वनगमन पथ के लिए प्रदेश सरकार 137 करोड़ 45 लाख खर्च करने जा रही है। परियोजना की शुरुआत चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर परिसर के शिलान्यास के साथ की जा चुकी है। पहले चरण में उत्तर में स्थित कोरिया से लेकर दक्षिण में स्थित सुकमा के रामाराम तक 9 स्थानों का चयन किया गया है।



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This is Rameshwaram of our Bastar… Rampal; Now Ram will connect with Vanagaman Path


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