कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष अब तक स्कूलें लगना शुरू नहीं हुआ है। निजी के अलावा सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं। गरीब बच्चों के पास मोबाइल नहीं होने से वे ऑनलाइन क्लासेस से नहीं जुड़ पा रहे हैं। शासन की ओर से निशुल्क बंटने वाली पाठ्यपुस्तकें भी अभी तक छात्रों को नहीं मिल पाई है। मिलतीं तो छात्र घर पर ही पढ़ाई कर लेते। कक्षा पहली से दसवीं तक के सभी छात्रों को निशुल्क पुस्तकें बांटी जाती है, लेकिन अभी तक जिले में केवल कक्षा नौवीं और दसवीं के छात्रों के लिए वह भी केवल तीन विकासखंडों में ही पुस्तकें पहुंच पाईं हैं। वितरण शुरू नहीं हुआ है।
प्रदेश में शिक्षा सत्र 16 जून से शुरू होता है तथा नए सत्र के प्रथम सप्ताह में ही कक्षा पहली से दसवीं तक के छात्रों को निशुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरण कर दी जाती हैं। इस साल कोरोना की वजह से शिक्षा सत्र शुरू ही नहीं हो पाया है। छात्रों को मध्यान्ह भोजन की जगह सूखा राशन वितरण किया जा रहा है। लेकिन किताबें नहीं मिलीं हैं।
रक्षाबंधन के बाद घर पहुंचाकर देंगे पुस्तकें : स्कूलें बंद होने की वजह से छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उनके घर पहुंचा कर दी जाएगी। जिन विकासखंडों में पुस्तकें पहुंच चुकी है वहां रक्षाबंधन के बाद पुस्तक वितरण कार्य शुरू होगा।
निजी व सरकारी स्कूलों में होता है निशुल्क वितरण
जिले में कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक के कुल 1 लाख 36 हजार 788 छात्र हैं। इनमें सरकारी हिंदी मीडियम वाले 1 लाख 9 हजार 649 तो अंग्रेजी मीडियम वाले 1841 छात्र हैं। जिले के निजी स्कूलों में हिंदी मीडियम के 10 हजार 573 तो अंग्रेजी मीडियम के 14,644 छात्र हैं जिन्हें शासन द्वारा निशुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरण किया जाना है।
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