कोरोना के खतरे के बीच 24 घंटे जूझ रहे कोरोना योद्धाओं ने भी सोमवार को रक्षाबंधन मनाया। भास्कर की पहल के बाद कोरोना वॉरियर्स तक राखियां और मिठाइयों के डिब्बे पहुंचाए गए। जिसके बाद कोविड हॉस्पिटल, क्वारेंटाइन सेंटर्स में उत्सव का माहौल रहा।
‘सलामती की डोर’ अभियान के तहत रविवार को ही जगदलपुर और दंतेवाड़ा में 1000 कोरोना वॉरियर्स तक मिठाई और राखियों के डिब्बे पहुंचा दिए गए थे। सोमवार को रक्षाबंधन के दिन कोरोना वॉरियर्स ने मुंह मीठा कर राखी के तौर पर भेजी गई ‘सलामती की डोर’ अपनी कलाइयों पर बांधी। अपनों के पास नहीं पहुंच पाने के गम के बीच योद्धाओं ने राखी बांधकर उत्साह और खुशी का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि लोगों से मिले अपनेपन ने उत्साह दोगुना कर दिया है।
हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. केएल आजाद ने बताया मिठाई और राखियों की जानकारी एक दिन पहले ही कोविड हॉस्पिटल में काम कर रहे कर्मचारियों को दे दी गई थी। इसके बाद जब सोमवार को यहां काम कर रहे स्टाफ तक मिठाई व राखियां पहुंची तो सभी के चेहरे पर खुशी और मुस्कान दिखी।
लैब में अब एक ही साइंटिस्ट, पीपीई किट पहनकर बांधी राखी
जगदलपुर | मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में एक हफ्ते में 8 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो गए बाकी बचे स्टाफ को क्वारेंटाइन कर दिया गया है। इस डिपार्टमेंट के 2 ही स्टाफ ऐसे हैं जो पॉजिटिव या क्वारेंटाइन किए गए कर्मचारियों के संपर्क में नहीं आए थे। इन दो कर्मचारियों का नाम रिसर्च साइंटिस्ट अभिलाषा मंडल और लैब टैक्निशियन धनसिंग सेन हैं। पिछले एक सप्ताह से ये दो लोग ही कोरोना की जांच कर रहे हैं। हर दिन कम से कम 480 तो कभी-कभी 7 सौ से ज्यादा सैंपल की जांच कर रहे हैं। रिसर्च साइंटिस्ट और लैब टैक्निशियन अपने घर नहीं जा रहे हैं। सोमवार को रक्षाबंधन के मौके पर रिसर्च साइंटिस्ट अभिलाषा ने अपने भाई को मेडिकल कॉलेज में ही राखी बांधी। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा।
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