Breaking

Sunday, August 23, 2020

‘मैंने पीढ़ियों को सींचा, अब ये पीढ़ी करे मेरा उद्धार...’

मैंहूं दूधनदी। मैं कांकेर शहर के बीच से होकर बहती हूं। शहर के बीच से मैं गुजरती हूं तो एक ओर गढ़िया पहाड़ और दूसरी ओर शहर रहता है। लोग मुझे कांकेर शहर की लाइफ लाइन भी कहते हैं। दो दशक पहले तक मुझमें साल के बारहों महीने पानी रहता था। मेरा पानी इतना साफ होता था की शहर के लोग बिना छाने तक मेरा पानी पीते थे। पुराना बसस्टैंड और राजापारा तट में तो गर्मियों के दिनों में पूरी बस्ती के लोग मेरी रेत में ही सोते थे। अब तो मैं प्रदूषित हो गई हूं क्योंकि शहर का कचरा और नालियों का गंदा पानी आकर मुझमे मिलता है।

  • 624 मिमी बारिश हो चुकी अब तक शहर में
  • दो दिन पहले हुई 94.2 मिमी बारिश तो पुराने रूप में आई दूधनदी

नदी का उद्गम स्थल
मलांजकुड़ुम जलप्रपात
नदी का संगम स्थल
महानदी, सरंगपाल घाट
दूधनदी की लंबाई
22 किमी

दूध नदी प्रदूषित होने की वजहें

1. शहर की गंदगी नदी में ही फेंकी जा रही है।
2. नालियों का पानी नदी में आकर मिल रहा है।
3. राजापारा में बना स्टापडैम कंडम हो चुका है।
4. बोर कर सिंचाई के लिए पानी खींचा जा रहा।

...सुना है मुझे(दूधनदी को) संरक्षित करने ये उपाय हो रहे हैं
‌12 करोड़ रुपए का बजट सीवेज प्लांट के लिए स्वीकृत किया गया है

नदी के किनारे अतिक्रमण हटाने अभियान शुरू हुआ है। भंडारीपारा से पंडरीपानी पुल तक दोनों ओर पाथवे।

25 करोड़ रुपए से दूध नदी के दोनों ओर रिटेनिंग वाॅल बनाई जाएगी

नदी का सौंदर्यीकरण करते लक्ष्मण झूला और कुंड बनेगा। यहां नावें भी चलेंगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
'I watered the generations, now this generation will save me ...'


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3lb7tLt

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Pages