कृषि विज्ञान केन्द्र सिंगारभाट कांकेर के प्रमुख वैज्ञानिक बीरबल साहू ने जानकारी दी है कि मक्का फसल में एक नया कीट फाल आर्मी वर्म रोग जो बहुभक्षी एवं तंबाकू की इल्लियों के परिवार का है। इस कीट के जीवनचक्र एवं वर्तमान में वातावरण की नमी तथा तापमान को देखते हुए इस कीट का प्रकोप होने की संभावना है। यह कीट बहुत तेजी से फैलकर पूरी फसल को नष्ट कर सकता है। इस कीट की लार्वा अवस्था सबसे विनाशकारी अवस्था है। यह इल्ली रात्रिचर होती है तथा इसके माथे पर एक उल्टा वाय जैसा लिखा हुआ प्रतीत होता है।
इसके अंतिम भाग पर चार वर्गाकार दाने पाए जाते हैं। यह इस लार्वा की विशेष पहचान है। छोटी लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाती हैं जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई पड़ती हैं। जैसे जैसे लार्वा बड़ी होती है पौधों की ऊपरी पत्तियों को खा जाती है और लार्वा बड़ा होने के बाद मक्का के गाले में घुसकर पत्तियां खाती रहती है। पत्तियों पर बड़े गोल गोल छिद्र एक ही कतार में नजर आते हैं। प्रकोप अधिक होने पर 10 से 15 दिन में यह पूरे फसल को नष्ट कर सकता है।
बचाव के ये हैं उपाय
कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के वैज्ञानिक डा बीरबल साहू ने कृषकों को सलाह दी है की इस कीट के नियंत्रण के लिए 4 से 5 फीरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ में लगाएं। साथ ही प्रकोप अधिक होने पर इमामेक्टीन बेंजोएट 0.5 मिली लीटर या कोलेरेंटरानिलीप्रोल18.5 को 0.4 मिली लीटर को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
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