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Sunday, August 23, 2020

डॉ. राम दयाल ने अलग पहचान दिलाई : विधायक

जनजातीय अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान के महानायक, महान शिक्षाविद, पद्मश्री डॉ राम दयाल मुंडा को शत शत नमन। रामदयाल मुंडा न हाेते ताे आदिवासी समाज की संस्कृति समृद्ध न हाेती। झारखंड हमेशा राम दयाल मुंडा का ऋणी रहेगा। उक्त बातें सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा ने पद्मश्री डॉ. राम दयाल मुंडा की जयंती पर रांची स्थित डॉ रामदयाल मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि डॉ. राम दयाल मुंडा ने झारखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया। यहां के आदिवासियों की पहचान बनाए रखने में ही अपना पूरा जीवन लगा दिया। पढ़ाई करने के लिए जब वे शिकागो गए तो वहां भी उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी।

उन्होंने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा ने झारखंड की माटी की पुकार आई तो अमेरिका से सब कुछ छोड़कर लौट आए। वे जानते थे कि झारखंड की संस्कृति तभी सुरक्षित रह सकती है, जब भाषा बचे। कहा कि पूरी दुनिया में डॉ. राम दयाल मुंडा ने झारखण्ड की संस्कृति को एक अलग पहचान दिलाई है। आज वह पूरी दुनिया मे नहीं हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली और संगीत के प्रति उनका योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। मुंडा जी शिक्षाविद के साथ उनका आदिवासी संस्कृति, लेखन और भाषा से उनका गहरा रिश्ता था। रांची विवि के कुलपति रहे डॉ राम दयाल मुंडा आदिवासी एवं मूलवासियों को एक मंच में लाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। उनकी कोशिश का नतीजा रहा कि झारखण्ड देश दुनिया मे पहचान मिली।



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Dr. Ram Dayal got a separate identity: MLA


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