इंटक द्वारा जिले के उपायुक्त को आवेदन देकर राज्य से बाहर जानेवाले मजदूरों का निर्धारित मापदंड के अनुरूप सभी प्रकार के सुविधा प्रदान करने का इकरार नामा कराने की मांग किया है। प्रदेश सचिव कन्हैया चौबे के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त से आवेदन के माध्यम से कहा कि ऐसा देखा गया है कि कंपनी व ठेकेदार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रमिकों को विभिन्न कार्याें के लिए ले जाया जा रहा है, लेकिन वहां कम मजदूरी देकर जोखिम भरा काम लिया जा रहा है। साथ ही मेडिकल और आवासीय सुविधा न देकर शारीरिक शोषण किया जाता है।
जिसके कारण कई मजदूरों का जान भी निरंतर जाने की सूचना मिलती है। कम्पनी व ठेकेदार द्वारा जिला प्रशासन से इकरारनामा नहीं होने के कारण ऐसे श्रमिकों को मुआवजा व अन्य सुविधा भी नहीं मिल पाती। इसे देखते हुए झारखण्ड सरकार ने बाहर जाने वाले श्रमिकों का निबंधन करने की बात कही है। इसके बाद भी रोजाना सरकार के आदेश का धज्जियां उड़ाते हुए ठेकेदार व कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर श्रमिकों को बगैर निबंधन के ही ले जाया जा रहा है। श्रमिकों के हित को देखते हुए इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग प्रतिनिधिमंडल ने की है। प्रतिनिधिमंडल में इंटक के जिला अध्यक्ष सुशील चौबे सहित अन्य लोग शामिल थे।
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