जिले में संचालित गोठानों में काम करने वाले स्वसहायता समूहों की महिलाओं को जैविक खाद बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। कुम्हरावंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सोमवार को केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. संतोष नाग ने महिलाओं को बताया कि जैविक खाद बनाने का फायदा सबसे अधिक किसानों को मिलेगा। वहीं उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी। कम समय में बेहतर खाद बनाने के लिए गोबर का संधारण सही ढंग से होना चाहिए। इसके लिए हर गोठान में टांके बनाए गए हैं, जहां गोबर को सुरक्षित रखा जा रहा है।
डॉ. नाग ने बताया गोबर में केंचुआ छोड़ने से खाद बनने में लंबा समय नहीं लगता है। उत्तरी भारत में आइसीनिया प्रजाति का केंचुआ खाद बनाने के लिए उपयुक्त होता है, जो अधिकतम तीन महीने में जैविक अपशिष्ठ को केंचुआ खाद के रूप में अपघटित कर देता है। केंद्र के वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा ने बताया केंचुआ खाद, में अन्य सभी जैविक कम्पोस्ट की तुलना में सर्वाधिक पोषक तत्व होता है जो मिट्टी में सुधार के साथ पौधों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
20 महिला समूह ले चुके हैं प्रशिक्षण : जिले में 273 गोठानों का निर्माण होना है। अभी तक करीब 100 गोठान बन चुके हैं, जिसमें खाद बनाना शुरू कर दिया गया है। इस काम में महिलाओं को परेशानी न हो इसलिए केवीके के वैज्ञानिकों ने अब तक 20 गोठानों के स्वसहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुके हैं। नाग ने कहा कि आने वाले दिनों में ब्लाक व जिला स्तर पर भी समूहों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए केवीके की टीम बना ली गई है, जिन्हें समय- समय पर भेजा जा रहा है।
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