राज्य सरकार के आदेश पर शहर में पानी का अवैध कारोबार करने वालों पर अब कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया है। शहर में चल रहे 1000 से अधिक अवैध आरओ प्लांट व ट्यूबवेल सील करने और संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस और नगर निगम अधिकारियों की पांच टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें अलग-अलग थाना क्षेत्रों में अवैध आरओ प्लांट व ट्यूबवेल चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी।
चंडीगढ़ व जिला स्तर पर बैठे उच्चाधिकारी लगातार इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। निगम अधिकारियों की मानें तो अभी तक करीब दर्जनभर पानी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। अधिकारियों का यह भी कहना है यदि कहीं किसी शहरवासी को अवैध आरओ प्लांट अथवा ट्यूबवेल दिखाई दे तो वह संबंधित क्षेत्र की पुलिस को सूचना दे सकते हैं। पुलिस उस पर कार्रवाई करेगी। पूरे शहर में घरों के अंदर से पानी बेचने का धंधा जोरों पर चल रहा है। छोटे-छोटे आरओ प्लांट मशीनें लगाकर अवैध पानी के कारोबारी शुद्ध पानी सप्लाई करने का दावा करते हैं। लोग भी इन प्लांटों से पानी खरीदते हैं, लेकिन इन आरओ प्लांट को चलाने के लिए नगर निगम ने आज तक किसी को इजाजत नहीं दी है।
इन प्लांटों में ट्रीट होने वाला पानी कैसा है, उसका टीडीएस कैसा है, यह कितना शुद्ध है इसकी कोई गारंटी नहीं है। निगम सूत्रों की मानें तो एनआईटी, ओल्ड फरीदाबाद और बल्लभगढ़ जोन में करीब 1000 से अधिक आरओ प्लांट व ट्यूबवेल विभिन्न कॉलोनी व सेक्टरों की गलियों में चल रहे हैं। आरओ प्लांट सबसे अधिक कॉलोनियों में चल रहे हैं। घरों के अंदर बड़ी-बड़ी टंकी रख उसमें पानी भर लेते हैं और फिर 20-20 लीटर की बोतलों में भरकर बेचते हैं। इसके बदले शहरवासियों से 25 से 30 रुपए प्रति बाटल वसूलते हैं। इसके अलावा ये माफिया कंपनियों में भी पानी सप्लाई करते हैं। निगम सूत्रों की मानें तो शहर में चल रहा एक भी आरओ प्लांट और ट्यूबवेल लगाने के लिए किसी भी सरकारी विभाग ने इजाजत नहीं दी है।
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