लॉकडाउन -2 जब खत्म हो रहा था तब हमारे छत्तीसगढ़ में कोरोना के तीन मरीज ही बचे थे। फिर ऐसा क्या हो गया कि आज हम एक लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं। और यह तो होना ही था। कारण कोई और नहीं। हम सब इसके लिए जिम्मेदार हैं। हमें पता है, दुनिया में अभी कोरोना का इलाज नहीं है। निष्फिक्र होकर निकलते रहे। जब सब तरफ अनलॉक हो रहा है तब हमारे शहरों में लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है। मेरे एक के निकलने से क्या होगा?
यह मानसिकता ही खतरनाक है। उसी ने हमारे शहर को और हमारे राज्य को एक लाख कोरोना की भेंट दी है। मेरे साथ मेरा परिवार और समाज जुड़ा है। समाज से प्रदेश और देश। हमें वह सब कुछ मानना ही होगा जिससे संक्रमण न बढ़े। हर बात के लिए, हर व्यवस्था के लिए सरकार की ओर देखना उचित नहीं है। हमें समझना होगा कि सरकार तभी हमारा इलाज करवा सकती है जब इसका इलाज होगा। अभी तो दुनिया में किसी भी डाक्टर के पास कोरोना का शर्तिया इलाज नहीं है।
सरकार भी जो कर रही है वह क्या है? केवल और केवल हमारे आइसोलेशन का इंतजाम। कोरोना की तकलीफ बढ़ने पर आक्सीजन का इंतजाम। बाकी तो मरीज की किस्मत ही है। जीतकर आ गए तो कोरोना वारियर। नहीं तो....। सिर्फ सरकार का नहीं, खुद का सिस्टम आपको और हम सबको सुरक्षित रख सकता है। आत्मनिर्भर तभी होंगे जब आत्मसंयम होगा। अनुशासन और धैर्य के साथ चिंता होगी।
शिव दुबे, संपादक
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3i7Z2Om
No comments:
Post a Comment