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Saturday, September 5, 2020

गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए खोला स्कूल, फीस के बदले कोई अनाज देता है तो कोई करता है श्रमदान

कुंदन कुमार चौधरी, बसिया उरांव और सरदेसनी उरांव ने कभी पढ़ाई नहीं की लेकिन ख्वाहिश थी कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। लेकिन उनकी इतनी भी कमाई नहीं कि वे बच्चों को पढ़ाने के लिए फीस भी दे सकें। ऐसे में लोहरदगा जिले के सेन्हा ब्लॉक के भड़गांव बेड़ाटोली में ‘आदिवासी विद्यापीठ’ उनका सहारा बना। यहां उनके सपने साकार हो रहे हैं। इस स्कूल में उनके दोनों बच्चे सियाराम और शिवानी पढ़ते हैं।

फीस के बदले में बसिया और सरदेसनी हॉस्टल के बच्चों के खाना बनाने में मदद कर देते हैं। अनूप मुंडा, रोहित लकड़ा सहित कई ऐसे बच्चे हॉस्टल में हैं, जिनके अभिभावक खेत में उपजे चावल, उड़द, आलू और सब्जियां स्कूल में दे जाते हैं। बादल उरांव के पिता का खेत नहीं है तो वह खाना बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां चुनकर पहुंचा जाते हैं। ऐसे एक-दो नहीं कई बच्चे हैं, जो बगैर फीस दिए ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जो बच्चे फीस देने लायक है, उनसे भी काफी कम मात्र 110 रुपए नर्सरी क्लास की फीस ली जाती है।



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