नदी से सटे होने के बाद भी सरकारी योजनाओं के तहत बनने वाले शौचालय, पीएम आवास और अन्य जनकल्याणकारी कार्य को पूरा कराने के लिए नहीं रेत नहीं मिल रही है। इसकी वजह से सभी कार्य ठप पड़े हैं और विकास कार्य भी रुक गया है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पंचायत ने दी, लेकिन इस ओर जिला प्रशासन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण कुआं के पास खड़े होकर प्यासे मर जाना जैसी कहावत ग्राम पंचायत डूमरिया के लिए चरितार्थ हो रही है, जहां पंचायत के अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत 124 शौचालय, पीएम आवास और अन्य सरकारी कार्य स्वीकृत हैं, जिनका निर्माण कार्य पंचायत को जल्द पूरा कराना है। लेकिन नदी के किनारे बसे होने के बाद भी पंचायत को इन निर्माण कार्य को पूरा कराने रेत नहीं मिल पा रही है। पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि डूमरिया नदी से रेत निकालने के लिए अब तक ठेका नहीं हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा पंचायत को भी रेत निकालने पीट पास जारी नहीं किया है। स्थानीय लोगों द्वारा शासकीय व निजी काम के लिए नदी से रेत निकालने पर खनिज व पुलिस विभाग के अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई की जाती है। वहीं 13 हजार रुपए चालान जमा करने के साथ वाहन को छुड़ाने में खर्च हो जाते हैं। शासकीय निर्माण कार्य में उपयोग के लिए रेत उठाने संबंधी पंचायत के लेटर पैड पर पंचायत द्वारा लिखकर देने के बाद भी पुलिस और खनिज विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है। इसलिए गांव का कोई भी वाहन मालिक डूमरिया नदी से रेत निकालने से डर रहे हैं। यही वजह है कि अब शासकीय व निजी निर्माण कार्य के लिए किसी को रेत नहीं मिल रही है। इसकी वजह से सभी निर्माण कार्य ठप पड़े हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि इसकी जानकारी जिले के कलेक्टर से लेकर संबंधित अन्य अधिकारियों को भी दी जा चुकी है, इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा रहा।
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