
एसईसीएल के अधिकारी भले ही हर साल 20 करोड़ रुपए से अधिक के कोयले और कबाड़ की चोरी मान रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि कोरिया, कोरबा और बिश्रामपुर क्षेत्र की कोल खदानों से हर साल 70 करोड़ से अधिक का कोयला, डीजल व कबाड़ चोरी होता है। आए दिन हथियारबंद लुटेरे बड़ी संख्या में खदानों में घुसकर कर्मचारियों को बंधक बनाते हैं और लूट की वारदात को अंजाम देते हैं। कोरबा, कोरिया और बिश्रामपुर में कबाड़ चोर अब तक चार कर्मचारियों की हत्या कर चुके हैं।
इसके बाद भी एसईसीएल अधिकारी इनकी रिपोर्ट लिखाने से बचते हैं। यही कारण है कि खदानों में हुए अपराध से संबंधित 80 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस थानों तक नहीं पहुंचते हैं। थाने पहुंचने वाले मामले भी सिर्फ चोरी की धाराओं तक ही सीमित रह जाते हैं। जबकि खदानों की सुरक्षा के लिए विभाग हर महीने 15 करोड़ से अधिक रुपए खर्च करता है। हकीकत यह है कि चोरी का खेल हर रोज हो रहा है। एक सिंडीकेट की तरह चल रहे इस खेल में विभागीय अधिकारियों की भी मिलीभगत रहती है। मालूम हो कि एसईसीएल अधिकारियों की अनदेखी के कारण खदानें चोरी का गढ़ बन चुकी हैं। हर रोज हो रही कबाड़, कोयला व डीजल की चोरी रोकने के लिए गंभीरता नहीं बरते जाने के कारण लुटेरे गंभीर वारदातों को भी अंजाम देने से पीछे नहीं हटते।
कोरबा: खदानों की सुरक्षा पर सवा 6 करोड़ खर्च 35 करोड़ की चोरी, शिकायत छोटी चोरियों की
एशिया की सबसे बड़ी खदान एसईसीएल की गेवरा परियोजना है। इसके अलावा दीपका व कुसमुंडा खदानों का भी विस्तार हो रहा है। इन खदानों की सुरक्षा के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है। खदानों में एसईसीएल के विभागीय सुरक्षा गार्ड, दूसरे चरण में होम गार्ड और अंत में सीआईएसएफ की तैनाती है। इन खदानों में सुरक्षा के लिए एसईसीएल प्रति माह सवा 6 करोड़ रुपए खर्च करता है। बावजूद इसके इन खदानों में चोरी-डकैती अब तक नहीं रुकी है। रात के अंधेरे में इन खदानों में कोयला, डीजल व कबाड़ चोरों का बोलबाला रहता है। आए दिन चोर गिरोह इन खदानों में घुसकर केबल व अन्य कीमती पार्ट्स चोरी कर ले जाते हैं। इसके अलावा सशस्त्र गिरोह कर्मचारियों को बंधकर बनाकर डकैती भी करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर साल खदानों में 30 से 35 करोड़ का डीजल, कबाड़, कोयले की चोरी होता है। लेकिन, अधिकांश मामलों में एफआईआर तक नहीं कराई जाती है। एसईसीएल अधिकारी सुरक्षा एजेंसियों पर जिम्मेदारी डालकर बच जाते हैं। कोरबा में सीआईएसएफ के 300, होमगार्ड के 80 और विभागीय सुरक्षा गार्ड के 80 जवान हैं। यहां से हर साल 10 से 12 करोड़ का अकेला डीजल चोरी होता है।
कोरिया: एसईसीएल खदानों में हर महीने औसतन 20 बड़ी चोरियां हो रही, रोकने में कंपनी नाकाम
जिले में लगभग 20 खदानें हैं, जिनसे हर रोज कोयला, कबाड़ व डीजल की चोरी की जा रही है। जबकि सुरक्षा के लिए यहां पर करीब छह करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ चिरमिरी की बंद अंडर ग्राउंड कोयला खदान व एसईसीएल के वर्कशॉप से हर हफ्ते 50 टन से अधिक लोहा, तांबा व कबाड़ के साथ डीजल की चोरी होती है। इस तरह साल में साढ़े तीन करोड़ रुपए का कबाड़ सिर्फ एक ही क्षेत्र से चोरी हो रहा है। जिले की हसदेव, चिरमिरी समेत बैकुंठपुर के करीब 20 अंडर ग्राउंड और ओपनकास्ट माइंस से हर साल 40 हजार टन कोयला चोरी होने का अनुमान है। जिसकी अनुमानित कीमत करीब 16 करोड़ है। यह कोयला शहर और गांव के ईंट भट्ठों में खपाया जाता है। यही नहीं चार से पांच करोड़ रुपए का कबाड़ और डीजल की चोरी होने का अनुमान है। लेकिन अफसरों ने जान बूझकर चोरी रोकने का जिम्मा उम्रदराज व अनफिट कर्मचारी और महिलाओं को सौंपा है। कुरासिया खदान में उम्रदराज महिलाएं डंडा लेकर वर्कशाप की सुरक्षा करती हैं। खदानों में महीने में औसतन 15 से 20 बड़ी चोरी होती है।
अंबिकापुर: जीएम बता रहे एक करोड़ की चोरी थाने में सिर्फ 10 लाख की चोरी की शिकायत
बिश्रामपुर क्षेत्र और बलरामपुर जिले में कोल खनन के लिए ओपन व अंडर ग्राउंड माइंस हैं। ओपन कास्ट माइंस से हर रोज कोयला चोरी की जाती है। स्थानीय ग्रामीणों को कुछ रुपयों का लालच देकर कोल माफिया कोयले की चोरी करवाते हैं, जिसे फिर ट्रकों में लादकर अन्य जगहों पर खपाने के लिए भेज दिया जाता है। यहां भी सुरक्षा के लिए लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इन वारदातों पर लगाम नहीं लग पा रही है। आए दिन हथियारबंद बदमाश खदानों में कर्मचारियों को बंधक बनाकर डकैती की वारदात को अंजाम देते हैं। बिश्रामपुर क्षेत्र में 28 सीआईएसएफ के जवान, 22 होमगार्ड और 60 विभागीय सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। इनपर हर महीने करीब 71 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। जीएम बीएन झा जहां एक करोड़ का कोयला व कबाड़ चोरी होने का दावा कर रहे हैं। वहीं हकीकत यह कि यहां पर पांच से सात करोड़ का कोयला और तीन से चार करोड़ का कबाड़ व डीजल चोरी होता है। विभागीय अधिकारियों की दावों की पोल इसी से खुल जाती है कि एक करोड़ की चोरी अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं। जबकि रिपोर्ट हर साल चार से पांच मामलों की दर्ज कराई जाती है। इनमें चोरी हुए सामान की कीमत 10 लाख रुपए तक ही होती है। ऐसे में 90 लाख के चोरी सामान की रिपोर्ट थानों तक ही नहीं पहुंच पाती है।
1. गार्ड को बंधक बनाकर फायरिंग कर लूट
25 जुलाई 2018 को एसईसीएल कुरासिया वर्कशॉप में देर रात घुसे नकाबपोश बदमाशों ने वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड माड़वाड़ी के सिर पर डंडे से मारकर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। फायरिंग कर दूसरे गार्ड को वहां से भगाकर मशीनी पार्ट्स व डीजल की लूट की।
2. एक कॉलरी कर्मी की हत्या, कबाड़ी पकड़े
करीब आठ साल पहले कुरासिया में एक कॉलरी कर्मी की हत्या कबाड़ चोर बदमाशों ने की थी। पुलिस जांच में कुछ कबाड़ चोर गिरफ्तार हुए थे। दो साल पहले गोदरीपारा के एक ठेकेदार पर कबाड़ियों ने हमला कर दिया था। जिसके बाद खदान के पुराने रास्ते को बंद कराया।
3. सीआईएसएफ के एएसआई पर जानलेवा हमला
7 महीने पहले एसईसीएल की कुसमुंडा खदान में बाहरी सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसएफ के एएसआई मनहरण प्रसाद शर्मा पर वर्कशॉप के पास तब जानलेवा हमला किया गया था। जिससे एएसआई शर्मा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हमलावर फरार हो गए थे।
गेवरा के दफ्तर में कर्मियों को बंधक बनाकर लूट
2 महीने पहले एसईसीएल गेवरा परियोजना क्षेत्र स्थित सैनिक माइनिंग कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में देर रात घुसे नकाबपोश बदमाशों ने वहां मौजूद चौकीदार देवी प्रसाद साहू व एंबुलेंस ड्राइवर श्याम सुंदर महतो को बंधक बनाया। उनपर हमला करने के बाद बदमाश वहां अलमारी में रखे लाखों रुपए लूटकर भाग निकले।
खदान में कोयला चोरी का वीडियो किया वायरल
एसईसीएल भटगांव क्षेत्र की दुग्गा कोयला खदान क्षेत्र से कोयला चोरी और तस्करी हो रही है। भाजपा नेता ने इस चोरी की पूरी घटना को फेसबुक लाइव के माध्यम से सोशल मीडिया पर वायरल किया था। दुग्गा के सिवरिया पारा में अवैध कोयला का संग्रहण कर रातों-रात सप्लाई किया जाता है। शाम होते ही 200 से 300 लोग चोरी करने पहुंचते हैं।
एक-दो माह से चोरी पर लगा अंकुश: महाप्रबंधक
एसईसीएल गेवरा के महाप्रबंधक एसके मोहंती का कहना है कि एक-दो महीने से चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगा है। खदानों में चोरी रोकने की जिम्मेदारी सीआईएसएफ के भरोसे हैं। सुरक्षा और भी पुख्ता हो इसका प्रयास किया जा रहा है। वहीं एसईसीएल के पीआरओ मिलिंद ने बताया कि चोरी से संबंधित कोई डाटा नहीं रखा जाता है।
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