सचिव संघ के लोग पिछले चार दिनों से एक सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल पर है। सचिवों के हड़ताल पर जाने से पंचायती राज के कामों में बाधा उत्पन्न होने लगी है। ग्रामीण तबके के लोगों को काम कराने के लिए शहर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दरअसल सचिव संघ नियमितीकरण की मांग को लेकर शनिवार से कलमबंद हड़ताल कर रहे हैं। शनिवार से जनपद के समक्ष सचिव पंडाल लगा रहे हैं,जिससे हर रोज लगभग सभी पंचायतों के सचिव उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
मंगलवार को सचिव की हड़ताल का चौथे दिन अब तक शासन प्रशासन के काम में उनकी मांग नहीं पहुंच पाई है। उसके विपरीत पंचायती राज के कामों पर असर पड़ना शुरू हो गया है। गांव से पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि सचिवों की हड़ताल पर चले जाने के बाद नए निर्माण पूरी तरह बाधित हो चुके है। ग्रामीण फूलसिंह ने बताया कि उन्हें जमीन का नामांतरण कराना था,परंतु सचिवालय में पिछले चार दिनों से सचिव की मौजूदगी नहीं रहने से भूमि नामांतरण का काम नहीं हो पा रहा । इसी तरह एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उनका पेंशन भुगतान भी सचिव की हड़ताल की वजह से अधर मे लटक गई है। उसके अलावा मनरेगा के काम भी विपरीत असर पड़ रहा है। बताया जाता है कि पंचायती राज में इन दिनों तालाब निर्माण, भूमि सुधार,वृद्धा पेंशन के कार्य पूरी तरह प्रभावित हो गए हैं।
योजनाओं पर असर... गोबर खरीदी भी प्रभावित
सचिव संघ की हड़ताल का शासकीय योजनाओं पर असर पड़ा है। ग्रापं के गौठानो में इन दिनों गोबर खरीदी रुक सी गई है। सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से चार दिनों में गोबर खरीदी का काम पूरी तरह ठप है, इधर शासन ने सचिवों की मांग पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इसके कारण सचिव संघ में आक्रोश बढ़ता दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि 25 सालो से पंचायती राज के कामों में सक्रियता बरतने वाले सचिवों की मांग के प्रति सरकार इतनी उदासीन कैसे हो सकती है।
आंदोलन लंबा खीचने की आशंका
सचिवो की मांग पर सुनवाई नहीं होने पर सचिव आंदोलन को लंबे समय तक जारी रखने की बात कह रहे हैं। सचिव संघ के टिपेन्द्र यादव ने बताया कि दो वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके सचिवो के शासकीयकरण की मांग पर शासन प्रशासन यदि जल्द ही सुनवाई नहीं करती है तो सचिव हड़ताल पर डटे रहकर आंदोलन और आगे बढ़ा सकते है। उनका कहना था कि चुनाव के दौरान वर्तमान की कांग्रेस सरकार के पंचायत मंत्री ने चुनावी वादे के दौरान सचिवों का नियमितीकरण करने का वादा किया था।
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