भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ाने वाला पोत हिमगिरी नौसेना में शामिल हो गया। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डेनरीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) द्वारा प्रोजेक्ट 17 ए के तहत निर्मित राडार की नजरों से बच सकने वाले पहले युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि कोलकाता में तैयार किया गया।
मुख्य अतिथि सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय नौसेना की शक्ति और बढ़ाने वाला पोत हिमगिरी नौसेना की रक्षा तैयारियों को और मजबूती प्रदान करेगा। रावत की पत्नी मधुलिका रावत के हाथों हुगली नदी के किनारे स्थित जीआरएसई यार्ड में इस युद्धपोत को उतारा गया।
यूरोपियन स्पेसिफिकेशन के तय मापदंडों के अनुरूप प्लेट तैयार कर पिछले दिनों निर्यात किया गया
करीब पांच वर्ष के अंतराल के बाद भिलाई इस्पात संयंत्र ने यूरोपियन स्पेसिफिकेशन के अनुसार प्लेट निर्यात किया है। ज्ञात हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र विभिन्न स्पेसिफिकेशन के प्लेट पड़ोसी देश नेपाल को पिछले कुछ वर्षों में निर्यात करता रहा है।
नवम्बर 2020 में भिलाई इस्पात संयंत्र ने 7,700 टन प्लेट यूनाइटेड अरब एमिरेट्स को दो अलग अलग ग्रेड में निर्यात किया है। संयंत्र ने 12 से 40 मिलीमीटर मोटाई के A572 ग्रेड 50 के लगभग 6070 टन प्लेट निर्यात किया है। साथ ही संयंत्र ने 12 से 50 मिलीमीटर मोटाई के बीएसईएन 10025-2 S275 ग्रेड के लगभग 1610 टन प्लेट का निर्यात किया गया है।
दो और ऐसे ही युद्ध पोतों का भी चल रहा है काम
जीआरएसई को परियोजना 17 ए के तहत 19,294 करोड़ रुपए में तीनों युद्धपोतों के निर्माण का ठेका मिला है। नौसेना को साल 2023 में पहला युद्धपोत हिमगिरि मिलने की उम्मीद है जबकि दो अन्य साल 2024 और साल 2025 में सौंपे जाएंगे। इनका निर्माण तेजी से जारी है। इसमें भी बीएसपी के प्लेट्स का उपयोग हो रहा।
युद्धपोत की खासियत यह है, आप भी जानिए
इन तीनों युद्धपोतों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये अत्याधुनिक संसाधनों जैसे बराक-8 मिसाइल और हायपरसोनिक ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से लैस होंगे। इन्हें दुश्मनों का राडार भी ट्रैक नहीं कर सकेगा। इन युद्धपोतों की लंबाई 149 मीटर और क्षमता लगभग 6670 टन है। इसकी रफ्तार 28 समुद्री मील प्रति घंटा होगी।
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