नए साल में झारखंड केंद्रीय बल के अफसराें पर से निर्भरता कम से कम करने का प्रयास करेगा। नई रणनीति के तहत राज्य के विभिन्न जिलाें में प्रतिनियुक्ति पर तैनात केंद्रीय बल के अफसराें काे अवधि विस्तार के बदले राज्य पुलिस सेवा के सीनियर अफसराें काे तैनात किया जाए। इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करने पर विचार मंथन चल रहा है। राज्य के विभिन्न जिलाें में एएसपी अभियान के रूप में सीआरपीएफ व बीएसएफ के कमांडेट प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं।
ये नक्सल विरोधी अभियान में फोर्स का नेतृत्व करते हैं। इसके अलावा झारखंड जगुआर में भी ग्रुप कमांडर के ताैर पर सीआरपीएफ व बीएसएफ के अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं। केंद्रीय बल के अफसराें की प्रतिनियुक्ति की वजह से राज्य पुलिस सेवा के वैसे अफसर जाे अभियान के लिए प्रशिक्षित हैं। उन्हें माैका नहीं मिल रहा है। ये अफसर डीएसपी से प्रोन्नत होकर सीनियर डीएसपी या एएसपी होंगे, जिन्हें खाली पड़े एएसपी अभियान के पद पर पदस्थापित किया जाएगा।
विचार किया जा रहा है कि जहां पहले से केंद्रीय बल के अधिकारी एएसपी अभियान के पद पर कार्यरत हैं, वे कार्यकाल पूरा होने के बाद वापस हो जाएंगे और वहां राज्य सेवा के अधिकारी ही पदस्थापित होंगे। फिलहाल 9 जिले में एएसपी अभियान के पद पर केंद्रीय बल के अफसर हैं।
इनमें लातेहार में बीएसएफ का और आठ जिलों में सीआरपीएफ के अधिकारी एएसपी अभियान हैं। झारखंड में 13 घोर नक्सल प्रभावित जिले हैं, जिनमें पांच जिले सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, पलामू व गढ़वा में एएसपी अभियान नहीं हैं।
9 जिलों के एएसपी अभियान के पद पर हैं केंद्रीय बल के अफसर
तेलंगाना का ग्रेहाउंड्स बल देश का सशक्त बल है। इसे नक्सलियों से निपटने में दक्षता हासिल है। आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में नक्सलियों से कुशलता से निपटने में इस बल ने कीर्तिमान हासिल किया है। झारखंड पुलिस के अफसरों की एक टीम ग्रेहाउंड्स बल का अध्ययन कर लौट चुकी है।
यही कारण है कि झारखंड जगुआर बल को तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास किया गया है। वैसे राज्य में झारखंड जगुआर की टीम भी सीआरपीएफ के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाती आ रही है।
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