
कोरोना को लेकर स्कूलों को खोलने को लेकर चल रहे ऊहापोह के बीच शिक्षकों ने भी स्कूल नहीं खोले जाने का सुझाव दिया है। शिक्षकों ने अपनी राय स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम के सामने एक वेबिनार में रखी। दरअसल, बस्तर में शिक्षा से पिछड़ रहे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का एक वेबिनार चल रहा था। अचानक स्कूल शिक्षा मंत्री साय सिंह टेकाम भी शामिल हो गए और शिक्षकों से स्कूल खोलने को लेकर उनकी राय पूछी।
जवाब में शिक्षकों ने कहा कि गांवों में कोरोना की स्थिति बहुत कम है लेकिन शहरों में इसका प्रभाव ज्यादा है। स्कूलों के खुलने पर शहरों में रहने वाले शिक्षक यदि गांवों में पढ़ाने आएंगे तो कोरोना के फैलने की संभावना है।
स्कूल खोले जाने की दशा में आधे- आधे बच्चों को रोस्टर पद्धति से या फिर कक्षाओं को अलग- अलग दिनों या समय पर चलाने का सुझाव भी दिया गया। शिक्षकों ने कहा कि पोटा केबिन, आश्रम शाला और केजीबीवी में बच्चों की संख्या अधिक होती है। इनको खोलने से सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन मुश्किल और संक्रमण का खतरा रहेगा।
बस्तर की जमीनी हकीकत को भी जाना
बस्तर जिले के शिक्षकों ने पीछे छूट रहे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के अनुभव बताए।। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत जमीनी स्तर से आइडियाज निकालने का प्रयास किया गया। शिक्षा मंत्री टेकाम ने इन शिक्षकों के साथ सीधे संवाद स्थापित कर जमीनी हालात को जानने की कोशिश की। उन्होंने ऐसी विषम परिस्थितियों में बच्चों को सिखाने संबंधी विधियों की जानकारी ली। बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक अमिय राठिया ने संभाग में हुए सुधारों की जानकारी दी।
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