केंद्र सरकार की ओर से कश्मीरियों के हितों के मद्देनजर लाए गए संशोधित बिल से उनके घर वापसी और वहां पर उनके बनते हकों के मिलने की उम्मीद जाग गई है। इससे जहां वह वापस लौट सकेंगे वहीं कश्मीर फिर से खुशहाल और अमनपसंद हो सकेगा।
यह कहना है सरपंच का चुनाव जीत चुके ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के उपाध्यक्ष और अमृतसर कश्मीरी पंडित सभा के पूर्व प्रधान राजेश रैना का।
रैना मंगलवार को केंद्र सरकार की उक्त पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा प्रमुख अमित शाह और जम्मू-कश्मीर की सरकार का आभार जता रहे थे।
उनका कहना है कि देश के बंटवारे के बाद से ही कश्मीरी ब्राह्मण ही नहीं बल्कि कश्मीर का हरेक हिंदू तबका पीड़ित और निष्कासित जीवन जी रहा है। हालात के मद्देनजर उनको देश के दूसरे हिस्सों में पलायन करना पड़ा।
इसका नतीजा यह हुआ कि वह अपनी जड़ों से कट गए। उनका कहना है कि इतनी सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने भी पलायन कर चुके कश्मीरियों ही नहीं बल्कि वहां रहने वाले दूसरे कामगारों के नागरिकता के बारे नहीं सोचा।
यही नहीं बल्कि पाक अधिकृत कश्मीर से आने वाले हिंदू भाइयों की भी यही स्थिति है। रैना ने बताया कि इस बिल के आ जाने से उनके लोगों को नागरिकता आसानी से मिल सकेगी। इससे जहां वह अपनी पैतृक मिट्टी में आबाद हो सकेंगे।
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