शासन ने लाख बीज खरीदने के लिए इस बार समर्थन मूल्य 275 रुपए किलो रखा है। वहीं वन विभाग समर्थन की जगह किसानों को सिर्फ एक किलो लाख बीज के लिए सिर्फ 225 रुपए रुपए दे रहा है। अधिकारियों की मनमानी से परेशान लाख उत्पादक किसान समिति ने मंगलवार को प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया। समिति की शिकायत है उनके लाख बीज को समर्थन मूल्य से भी कम दर पर वन विभाग खरीदी कर रहा है। वन विभाग के रवैये की वजह से कई किसान लाख बीज बिक्री नहीं कर रहे हैं तो कई नुकसान उठाकर कम दामों में बेच रहे हैं। एक दिन पहले भी किसानों ने मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी से मुलाकात कर शिकायत की थी।
लाख उत्पादक किसान समिति ने जिला प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में कहा कि लाख बीज का समर्थन मूल्य 275 रुपए किलो है, लेकिन वन विभाग के उच्चाधिकारी समूहों पर दबाव बनाकर 225 रुपए किलो में खरीदी कर रहे हंै। दुर्गूकोंदल में दुर्गा महिला स्वसहायता समूह हाटकोन्दल समूह से 225 रुपए किलो में लाख खरीदी की जा रही है। दमकसा में भी 225 रुपए किलो की दर से खरीदी की जा रही है। अंतागढ़ में भी कम दर पर खरीदी करने की शिकायत है। समित पदाधिकारियों के समझाने पर कांकेर, चारामा तथा नरहरपुर के किसानों ने फिलहाल कम दरों पर बेचने से मना कर दिया है। शिकायत करने कांकेर के साथ अंतागढ़, दुर्गूकोंदल, नरहपुर, कोयलीबेड़ा, चारामा से समिति पदाधिकारी तथा किसान पहुंचे थे।
तिरकादंड से पहुंचे लाख उत्पादक किसान समिति अध्यक्ष पुरुषोत्तम मंडावी, संरक्षक अशोक सर्फे ने कहा कुसमी लाख बीज का सरकारी मूल्य 275 रुपए प्रति किलो निर्धारित है लेकिन उसे निर्धारित से भी कम दर कम दर पर 225 रूपया किलो में खरीदी किया जा रहा है। जो किसानों के साथ अन्याय है। सरकार किसानों को उनका आय दुगुना करने की बात करती है लेकिन दूसरी ओर किसानों के साथ धोखा दिया जा रहा है। इससे किसानों की आय दुगुना कैसे होगी।कार्यकारिणी सदस्य ग्राम दसपुर के प्रकाश चंद्र निषाद सहित हफर्रा के पीलाराम नेताम रामबाबु नेताम मयाना के डाकेश्वर सिन्हा मैनखेड़ा के जान सिंग मंडावी, चारगांव के अनिल सलाम ने कहा सरकारी जो मूल्य निर्धारित है। उसी मूल्य पर खरीदी की जानी चाहिए लेकिन वन विभाग के कुछ अधिकारियों के कारण ऐसा नही हो पा रहा है।
कम मूल्य पर खरीदी की जानी चाहिए। कई किसान अभी लाख बीज की बिक्री नहीं कर रहे हैं क्योंकि किसानों को इससे काफी नुकसान होगा। समिति का यह भी मानना है कि प्रतिवर्ष खरीदी के कीमत में कम किए जाने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
2012 में दो हजार रुपए किलो बिकता था
लाख उत्पादक किसान समिति की शिकायत है हर साल लाख बीज मूल्य में शासन कमी कर रही है। सत्र 2012 में लाख बीज खरीदी 1000 रुपए प्रति किलो में होती थी जो साल दर साल घटती चली गई। वर्ष 2005 से जिले में लाख उत्पादन से किसान जुड़े हैं। शुरूवात में लाख उत्पादक किसानों की संख्या कमी थी लेकिन वन विभाग द्वारा इस दिशा में कार्य करने से किसान लाख उत्पादन में रूचि लेने लगे तथा किसानों की संख्या बढ़ती चली गई। लाख बीज उत्पादन और कटाई साल में दो बार जनवरी-फरवरी तथा जून-जुलाई में होती है।
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