कोरोना संक्रमण को देखते हुए यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटियों के लिए निर्देश जारी किए हैं कि वे कोरोनाकाल में एग्जाम न लें। इस निर्देश के बीच राज्य शासन ने भी परीक्षाओं के आयोजन पर रोक लगाते हुए जनरल प्रमोशन करने के आदेश निकाल दिए। जनरल प्रमोशन के आदेश के बीच अब बस्तर यूनिवर्सिटी कोरोनाकाल में भी छात्रों से पैसे कमाने में जुटी हुई है और जनरल प्रमोशन के लिए नंबरिंग के उस पैटर्न का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें छात्रों को परीक्षा फीस देनी ही पड़ेगी।
दरअसल, जनरल प्रमोशन के मामले में यूजीसी ने यूनिवर्सिटियों को तीन पैटर्न में मार्किंग करने के निर्देश जारी किए हैं। इनमें पहला पूर्व के वर्षों में मिले नंबरों के आधार पर इस बार मार्किंग की जाए, दूसरा इंटरनल एग्जाम में मिले नंबरों के आधार पर मार्किंग और तीसरे टेस्ट के जरिए मार्किंग दी जाए। इन तीन विकल्पों में से बस्तर यूनिवर्सिटी ने इंटरनल एग्जाम वाले पैटर्न को चुनते हुए छात्रों को फॉर्म भरने का आदेश जारी कर दिया है। इस पैटर्न में कई अन्य परेशानियां भी हैं। बीयू ने इस पैटर्न को आधार बनाकर छात्रों से कह दिया कि इंटनरल एग्जाम में मिले नंबरों को सॉफ्टवेयर में चढ़ाना पड़ेगा, ऐसे में उन्हें परीक्षा फीस भरनी होगी।
7 सौ से 16 सौ रुपए तक की फीस ले रहे
इधर जनरल प्रमोशन में छात्रों से सिर्फ अंकसूची बनाने का खर्च यूनिवर्सिटी को लेना था। अंकसूची का शुल्क अभी 40 रुपए बीयू ने तय किया है लेकिन इंटरनल एग्जाम का फार्मूला निकालकर छात्रों से परीक्षा फीस के नाम पर 7 सौ से 16 सौ रुपए तक की परीक्षा फीस वसूली जा रही है।
इंटरनल एग्जाम के आधार पर जनरल प्रमोशन करने में छात्रों को होंगी ये परेशानियां
- इस पैटर्न में पहली परेशानी यह है कि बिना परीक्षा दिए ही छात्रों से परीक्षा के पैसे वसूले जा रहे हैं।
- दूसरी परेशानी यह है कि ज्यादातर सरकारी कॉलेजों में इंटरनल एग्जाम जैसा सिस्टम चला ही नहीं है। जहां चला भी है वहां बहुत कम छात्र इसमें शामिल हुए हैं ऐसे में जो छात्र इसमें शामिल ही नहीं हुए हैं उनकी मार्किंग कैसी होगी।
- तीसरी बड़ी परेशानी यह है कि जिन संकायों में इंटरनल एग्जाम जैसी कोई बात ही नहीं थी उनके नंबरों का निर्धारण कैसे होगा। इसके अलावा भी कई अन्य परेशानियां हैं।
हमने पहले ही फीस आधी कर दी, मूल्याकंन कैसे करना है इस पर विचार जारी: कुलपति
इधर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि परीक्षा फीस के लिए पहले जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था उसे कम कर दिया गया है और फीस में 50 फीसदी की छूट दी गई है। इसके अलावा जनरल प्रमोशन के लिए इंटरनल मूल्यांकन वाले फार्मूले को अपनाया जा रहा है। इसके अलावा जिन संकायों में यह फार्मूला फिट नहीं होगा वहां इसे बदला जाएगा। अभी इस प्रक्रिया पर विचार जारी है।
कुलपति से बात करेंगे परीक्षा फीस न ली जाए
इधर एनएसयूआई के प्रदेश सचिव आदित्य सिंह बिसेन ने कहा कि जनरल प्रमोशन वाले मामले में कुलपति से मुलाकात कर चर्चा की जाएगी और मांग की जाएगी कि छात्रों से परीक्षा फीस ही न ली जाए। यदि कुलपति से बातचीत में समस्या का समाधान नहीं होगा तो उच्च शिक्षा मंत्री से बात करेंगे।
आधी फीस क्या, एक पैसा लेना भी अन्याय
इधर अभाविप के जिला संयोजक कमलेश दीवान ने कहा कि कोरोनाकाल में सभी लोग परेशान हैं अभी हर वर्ग के लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं जब जनरल प्रमोशन की घोषणा की गई है तो इसमें पैसे कमाने के लिए फार्मूला लगाना गलत है।
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