लंबे इंतजार के बाद अब गीदम के 800 से ज्यादा घरों में गुरुवार से इंद्रावती का पानी पहुंचने लगेगा। बुधवार को शहर की दो महत्वपूर्ण पानी टंकियों में पाइप लाइन जोड़ने का काम हुआ। शाम 5 बजे तक वार्ड 4 की ढाई लाख लीटर के टैंक में पाइप लाइन जोड़कर पानी भी भरा गया। जबकि वार्ड 2 की पानी टंकी में काम चल रहा था। अब ड्राइजोन गीदम के रहवासियों को पेयजल समस्या से बड़ी राहत मिलेगी। 3 दिनों से पीएचई प्रोजेक्ट के साथ नगरीय निकाय का अमला जुटकर काम कर रहा है।
हालांकि अभी नगर पंचायत व पीएचई के बीच एमओयू होना बाकी है। बताया जा रहा है अभी हर दिन शहर को ज़रूरत के मुताबिक पानी कितना दिया जाना है, खर्च कितना होगा इसकी लागत भी निकाली जाएगी। बता दें कि नल योजना के तहत तैयार हुए इस प्रोजेक्ट पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। तत्कालीन भाजपा सरकार में इसकी नहीं रखी गई थी। नगर के लोगों को साफ पानी देने सरकार की ये महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक थी। योजना पूरा होने से शहर के लोग काफी खुश हैं कि उन्हें पीने का अब साफ पानी मिलेगा।
मेरा पहला सपना पूरा हुआ : प्रोजेक्ट को शुरू कराने चुनाव जीतने के बाद अध्यक्ष साक्षी सुराना लगातार जुटी हुई थीं। ठेकेदार से लेकर अफसरों तक से लगातार संपर्क में थीं। योजना शुरू होने से शहर के लोग काफी खुश हैं। साक्षी ने कहा मेरा पहला सपना पूरा हुआ, पाइप लाइन से लेकर और भी जो कमियां हैं उसे भी दूर की जाएगी।
योजना पर एक नजर
- नल कनेक्शन- 846
- भरी जाने वाली टंकियां- 75000 लीटर क्षमता
- क्षमता - 2.50लाख लीटर
- हर दिन शहर में अब तक पानी सप्लाई होता है - करीब 3 लाख लीटर
- अब होगा- 6 लाख लीटर से भी ज़्यादा
- अब तक टंकियों को भरने लगने वाला समय- 12 घंटे से ज़्यादा
- अब लगेगा समय- 2.50 लाख लीटर सिर्फ 4 घंटा
अब ऐसे मिलेगी राहत, बन रही रणनीति
- अब आधे घंटे से बढ़ाकर 45 मिनट की अवधि।
- सुबह- शाम दोनों समय गीदम के लोगों को नल से मिलेगा पानी।
- नलों में आने वाले पानी का प्रेशर अच्छा होगा।
- समय में बदलाव होगा, यानी अब देर से नल खुलने की शिकायत दूर होगी।
- 10 बजे से पहले हर घर पानी पहुंचाने का दावा।
घोषणा 2012 में, 2017 मेंं काम शुरू
प्रोजेक्ट की घोषणा साल 2012 में हुई थी। लेकिन इसके शुरू होने में लंबा वक्त लगा। पहले यह 18 करोड़ का था, लेकिन देर के कारण करीब 24 करोड़ से ज़्यादा इस प्रोजेक्ट की लागत हुई।पहले पीएचई ने काम किया,लेकिन इसे प्रोजेक्ट को सौंपा गया। जगदलपुर की टीम की निगरानी में काम चल रहा था। सरकार बदलने के बाद फंड की कमीं से काम अटका रहा। फिर बाद में सही मॉनिटरिंग का अभाव। कलेक्टर के कड़े रुख के बाद अब जाकर आनन- फानन में यह काम पूरा हुआ।
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