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Sunday, June 28, 2020

लॉकडाउन के कारण रेड जोन की सीमा पर बसे गांवों में अब तक नहीं घुसा कोरोना

राजधानी रायपुर कोरोना संक्रमण सामने आने के बाद से अब तक लगभग रेड-जोन में है और लगातार मरीज मिल रहे हैं। लेकिन, इसी शहर की सीमा पर आबाद और राजधानी का हिस्सा माने-जाने वाले गांवों ने अब तक कड़े अनुशासन के कारण खुद को कोरोना संक्रमण से बचाए रखा है। भास्कर टीम ने सेजबहार, धुसेरा, धनेली, तुलसी, अटारी और बरौंडा जैसे गांवों में जाकर इनके सुरक्षित रहने की वजह तलाशी। बड़ा कारण तो यह सामने आया कि इन गांवों से दूसरे राज्यों में पलायन नहीं है, यानी बाहर से कोई मजदूर नहीं लौटा। कुछ गांवों में लाॅकडाउन अब भी जारी है। गांवों में दाखिल होने वाले हर रास्ते में बांस-बल्लियों का छेका लगा है। बाहरी व्यक्ति घुस नहीं सकता, निगरानी इतनी सख्त है। गांवों के बाहर क्वारेंटाइन को लेकर भी पंचायतें सख्त हैं। मास्क लगाए बिना लोग चौपाल में नहीं जा सकते।

केस 1 | बाहर से एक ही शख्स आया, अकेले क्वारेंटाइन रहना पड़ा
विधानसभा से लगे बरौंडा में लाॅकडाउन अब तक खत्म नहीं हुआ। महिलाओं-युवतियों की चहल-पहल वाली चूड़ी-बिंदी तक की दुकानें बंद हैं। गांव अब तक कोरोनामुक्त है। सरपंच दामिनी जगीरा महिलांग का कहना है कि लाॅकडाउन और सैनिटाइज करने में कोई कसर नहीं रखी गई है। यहां लाॅकडाउन के दौरान एक ही व्यक्ति पहुंचा, जो तेलंगाना की एक कंपनी में कुक है। उसे भी गांव के बाहर प्राथमिक विद्यालय में अकेले 15 दिन क्वारेंटाइन रखा गया। हालांकि इस व्यक्ति ने भास्कर को बताया कि वह खुद भी सतर्क थे, इसलिए प्राइवेट गाड़ी करके आए थे।

केस 2 | महिलाओं की जागरुकता से, कोरोना से नहीं हारे
राजधानी और प्रदेश के सबसे व्यस्त टाटीबंध चौराहे से बमुश्किल 3 किमी दूर अटारी... इस गांव से लगे हीरापुर-जरवाया में कोरोना के मरीज मिल गए हैं, लेकिन यहां के ढाई हजार लोग अब तक सुरक्षित हैं। यहां महिलाओं का एक समूह पुरूषों को नशे से दूर रखने की मुहिम छेड़े हुए है। यही समूह मास्क, सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए रोज रैलियां निकालकर जागरुक कर रहा है। यहां बाहर जाने वाले और वहां से आने-वाले एक-एक व्यक्ति की सूची बनी है। केरल से काफी लोग यहां लौटे। यह गांव राजधानी का ही एक वार्ड है। वहां के पार्षद पति बसंत वर्मा ने बताया कि केरल के लोग गांव में रहने लगे हैं। इनका क्वारेंटाइन इतना सख्त था कि कोई संक्रमित नहीं हुआ।

केस 3 | रोजाना हांका पारकर लोगों को बताए बचाव के तरीके
राजधानी से लगे तुलसी गांव में दोपहर 2 बजे... ज्यादातर ग्रामीण खेत से आने के बाद घरों में चले गए। केवल रामलीला मंच और चौपाल के आसपास लोग नजर आए। सभी मास्क पहने थे और दूर-दूर बैठे थे। सरपंच तुमनलाल धीवर और ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन का गांव में सख्ती से पालन किया गया। रोजाना हांका पारकर बताया गया कि एक-दूसरे से दूरी बनाए रखनी है और घर से नहीं निकलना है। यहां सरकारी अमला यानी मितानिन से लेकर कोटवार, पंच और पुलिस भी सक्रिय रही। बाहर से आने वालों की सूचना पुलिस को दी जाती है।
केस 4 | बाहर से न कोई आया न गया, किसी को घुसने भी नहीं दिया
राजधानी का ही हिस्सा माने जाने वाले सेजबहार-धनेली और धुसेरा हफ्तों तक इसलिए दहशत में रहे क्योंकि लगे हुए गांवों माना, देवपुरी और बोरिया (सभी राजधानी क्षेत्र) में कोरोना के मरीज मिल चुके हैं। धनेली के पूर्व सरपंच लोकेश साहू ने बताया कि गांव में बाहर से न कोई आया, न गया। यहां के प्रवासी प्रदेश से बाहर बिलकुल नहीं जाते। लगे हुए गांवों में कोरोना पहुंच चुका था, इसलिए यहां लाॅकडाउन सख्त कर दिया। इसलिए सभी लोग अब तक कोरोना से बचे हुए हैं। इससे लगे धुसेरा के डा. गोपाल दीवान ने बताया कि इस गांव में लाॅकडाउन बेहद सख्त था और अब तक है। बाहरी लोगों को घुसने ही नहीं दिया। सेजबहार में भी यही एहतियातन बरती गई। यहां के पंच कोमल जांगड़े और पूर्व जनपद सदस्य देवा कुर्रे ने बताया कि अनलाॅक में भी पूरा गांव किसी एक जगह पर भीड़ नहीं होने दे रहा है। ज्यादा लोगों के साथ बैठने की मनाही है। इसलिए वे अब तक सुरक्षित हैं। धनेली के मैदान में तो बच्चे क्रिकेट खेलते भी नजर आए।

भास्कर टीम: कौशल स्वर्णबेर, राकेश पांडे, अमनेश दुबे और प्रमोद साहू



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अटारी गांव पूरी तरह से कोरोना फ्री है।


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