प्रखंड क्षेत्र के सिसरी पंचायत में स्वास्थ्य उपकेंद्र बनखेता की एएनएम विद्यावती कुमारी जून 2019 में लापरवाही के कारण सस्पेंड हो गई थी। तब से आज तक स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य उपकेंद्र बनखेता में किसी एनएम की पदस्थापना नही की है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण एनएम की पोस्टिंग स्वास्थ्य उपकेंद्र बनखेता में नहीं की गई है। जिसके कारण पंचायत क्षेत्र के जनता स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं।
इन्हें किसी भी समस्या या आपात स्थिति में 30 किलोमीटर दूर स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर जाना पड़ता है।पंचायत क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं नही रहने से कई लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।जहाँ बनखेता के लोगों को एक तरफ़ आवागमन में भी परेशानी होती है। वहीँ दूसरी ओर स्वास्थ्य उपकेन्द्र में स्वास्थ्य सेवा भी बाधित है।कोई भी जनप्रतिनिधियों का भी ध्यान इस ओर नही गया। विभागीय पदाधिकारियों के द्वारा कोई पहल नहीं किया गया है ।
जिससे सिसरी पंचायत क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवा से मरहूम होना पड़ रहा है।बता दें कि इस स्वास्थ्य उपकेंद्र बनखेता में लगभग बीस हजार की आबादी निर्भर है। महिलाएँ एवं बच्चों की तमाम समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों को कोई फिक्र नही है। इधर स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनखेता का नया भवन 25 लाख तीन सौ पचहत्तर रुपए की लागत से वर्ष 2013 में बनकर तैयार है ।फिर भी निजी एवं खपड़ैल मकान में स्वास्थ्य उपकेन्द्र चलने को मजबूर है ।जिस खपड़ैल मकान में स्वास्थ्य उपकेन्द्र संचालित किया जाता था। उस मकान की मरम्मत नहीं होने के कारण और दो वर्षों से बरसात की पानी की वजह से मकान जर्जर हो गया है।
मकान मालिक मनोज प्रजापति ने बताया कि उन्हें 3 वर्षों से किराया नहीं मिला है। एक वर्ष से स्वास्थ्य उपकेंद्र में ताला बंद रहने के कारण वे मकान मरम्मत भी नहीं करा पा रहे हैं।जिसके कारण मकान गिरने के स्थिति पर खड़ा है। उनका मकान स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से गिर जाता है तो इसका जिम्मेवार स्वास्थ्य विभाग होगा । पूर्व एनएम विद्यावती कुमारी की पोस्टिंग रंका प्रखंड में हो गयी है।
उन्होंने अपना प्रभार स्वास्थ्य उपकेंद्र अरंगी में पदस्थापित लेखापाल सुनील पटेल को सौंप दिया है। इधर सुनील पटेल भी अपना प्रतिनियोजन कराकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर में वर्षों से जमे हुए हैं। उनसे उपस्वास्थ्य केंद्र बनखेता के बारे में पूछने पर उन्होंने कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया। उनके प्रतिनियोजन को लेकर कई बार सवाल भी उठाया गया। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नही दिखाई।
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