मुनीर खान, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार के द्वारा मुख्य रूप से मनरेगा के तहत बिरसा हरित क्रांति योजना के नाम से आम बागवानी का कार्य धुरकी मे युद्ध स्तर पर जारी किसान हो रहे हैं लाभान्वित। धुरकी प्रखंड के खुटिया गांव मे किसान इकबाल खान ने अपनी एक एकड़ रैयती भूमि मे मनरेगा के तहत आम बागवानी के लिए दो सौ गड्ढ़े की खुदाई मानक के अनुरूप दूरी तय सीमा के अनुरूप कराया है। किसान इकबाल खान ने बताया की सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा किसानों के हित में आम बागवानी योजना लाया गया है जो किसानों के लिए शत प्रतिशत लाभकारी साबित होगा। उन्होंने बताया की मनरेगा मे अबतक किसानों के लिए खेत का समतलीकरण और मेड़बंदी योजनाएं पूर्व से चलाई जा रही थी।
वहीं बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत सरकार के द्वारा मनरेगा के पैसे से किसान के स्वयं की जमीन मे बागवानी लगाकर मालिकाना हक भी किसान को दिया गया है जो सबसे महत्वपूर्ण है। वहीं किसान जब इसकी देखभाल कर तैयार करने के बाद आम बागवानी से आर्थिक रूप से भी सशक्त बन सकेंगे। किसान इकबाल खान ने बताया की वह अपना रैयती भूमि के एक एकड़ मे आम बागवानी के लिए गड्ढे को तैयार कर लिए हैं, वहीं पौधा आपूर्तिकर्ता के द्वारा उपलब्ध कराने के बाद लगा दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया की वह मजदूरों के साथ-साथ स्वयं सभी गड्ढ़े मे कीटनाशक औषधि और खाद्य डालकर फलदार पौधे को लगाएंगे। वहीं इस संबंध में बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया की मनरेगा योजना के तहत वन पर्यावरण और किसानों को सीधा लाभ के अलावे मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है।
उन्होंने यह भी कहा की बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत आम बागवानी का कार्य धुरकी प्रखंड के किसान बढ़ चढ़कर कर रहे हैं, वहीं उनके द्वारा समय-समय पर योजनाओं का देख-रेख और मार्गदर्शन भी देते रहते हैं। वहीं बीपीओ डिंपल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया की सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना आम बागवानी का कार्य ग्लोबल वार्मिंग को सुदृढ करने के उद्देश्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा की मनरेगा के तहत इच्छुक किसान अपने रैयती खेत मे आम और इमारती पौधों को लगाकर सुरक्षित तरीके से बड़ा होने तक देखभाल कर उसका निजी लाभ स्वयं उठा सकते हैं तथा उनका मालिकाना हक भी पूर्व तरह ही रहैगा। उन्होंने कहा की सरकार को इस महत्वपूर्ण योजना को सफल करने के लिए सिर्फ एक ही मकसद है की वर्तमान मे जंगलों मे अंधाधुंध लकड़ियों की कटाई से पेड़ पौधे समाप्त हो रहे हैं जिसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ी को नहीं भुगतना पड़े।
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