प्रियरंजन विनोद, प्रखंड मुख्यालय सह सौ गावों का प्रमुख बाजार कांडी में बार बार नाली बनती है और गायब हो जाती है। इस कारण कांडी बस्ती के कई मुहल्लों व कई संस्थानों को मल मूत्र मिले गंदे पानी का शिकार होना पड़ता है। बावजूद इसके कई दशकों से इस दुखद त्रासदी को झेलने के लिए कांडी के लोग लाचार हैं।
यह हालत तब है जब यहां नाली निर्माण को लेकर 50 से 60 लाख रुपए खर्च कर दो दो बार पक्की नाली का निर्माण कराया गया है। लेकिन जादू यह है कि बनी बनाई नाली यहां महज कुछ ही दिनों में गायब हो जाती है। यह सर्व विदित है कि कांडी बाजार में देश के सबसे बड़े अतिक्रमण का मामला पचासों साल से फल फूल रहा है। जहां दो दो बार बनी पक्की नाली के साथ साथ पांच एकड़ का बाजार पूरा का पूरा गायब हो गया है।
अतिक्रमण का नतीजा... चार एकड़ 84 डिसमिल के बाजार में एक टोकरी सब्जी बेंचने की जगह नहीं
चार एकड़ 84 डिसमिल के बाजार में बैठकर एक टोकरी सब्जी बेंचने की जगह नहीं मिलती। पूरा बाजार सड़क पर लगता है। वहीं नाली के अभाव में मल मूत्र मिला गंदा पानी आंगन बाड़ी संख्या दो, श्री बजरंग बली मंदिर, राजकीय उत्क्रमित बालिका मवि, चंद्रवंशी मोहल्ला, कुशवाहा मोहल्ला, हरिजन मोहल्ला आदि में भर जाता है।
कांडी बाजार, बस्ती, मंदिर आदि में तो सालों भर इस विपदा को झेलना है। लेकिन शेष स्थानों की हालत बरसात भर नारकीय बनी रहती है। सबसे दुखद स्थिति आंगन बाड़ी दो की होती है। जहां बरसात के चार महीने नाली का गंदा पानी भरा रहता है। इसी हालत में सेविका, सहायिका व बच्चों को गंदा पानी यदि कम मात्रा में हुआ तो उसे उलीचकर तब पढ़ाई करनी पड़ती है। पानी अधिक हो तो इसके कम होने का इंतजार करना पड़ता है।
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