शाम 5 बजे सुकमा में शबरी नदी का जलस्तर 11.190 मीटर रिकार्ड किया गया। इससे पहले शबरी नदी का जलस्तर शुक्रवार सुबह 9 बजे 11.480 मीटर तक पहुंच गया था। 8 घंटे में शबरी नदी का जलस्तर महज 28 सेमी ही कम हुआ। हालांकि इससे निचली बस्तियों से बाढ़ का पानी उतरने से लोगों ने राहत की सांस ली। जिले के तीनों ब्लाक में 28 शैक्षणिक संस्थाओं को प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों के लिए अस्थायी राहत शिविर बनाया है। इनमें 1064 लोगों को रखा गया है। सुकमा में 147, छिंदगढ़ में 159 एवं कोंटा में 758 बाढ़ प्रभावित लोग अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं। यहां प्रशासन ने इनके लिए नाश्ते व भोजन का इंतजाम किया है।
34 घंटे बाद बोदागुड़ा में जाम खुला
शुक्रवार शाम 6 बजे तक जगदलपुर-सुकमा मार्ग बहाल नहीं हो सका था। जगदलपुर मार्ग पर साईं मंदिर के पास एनएच जलमग्न होने के कारण दूसरे दिन भी लोगों को नाव से इस पार से उस पार लाया-ले जाया गया। इधर केरलापाल थाना क्षेत्र के बाेदागुड़ा में बरसाती नाला उफान पर होने के कारण गुरुवार सुबह साढ़े 6 बजे से जाम में सैकड़ों की संख्या में मालवाहक व यात्री वाहनें फंसी थीं। शुक्रवार शाम चार बजे बाढ़ का पानी उतरने के बाद वाहनों की आवाजाही शुरु हो गई। हालांकि पुल के ऊपर एक फीट पानी बह रहा था। छोटी गाड़ियों को पुल पार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। िजला मुख्यालय में राजवाड़ा, पावारास, शबरी नगर, बाजार पारा, पुसामीपारा, बगीचापारा, श्रीनगर में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुसने से लोगों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा। जिला मुख्यालय के शबरी नगर में स्थित सीआरपीएफ की सेकंड बटालियन के मुख्यालय भी बाढ़ के पानी में घिर गया था। गुरुवार देर शाम कैंप के भीतर भी बाढ़ का पानी घुसने से यहां जवानों को अलर्ट कर दिया गया था। कैंप खाली करने की तैयारी पूरी कर ली गई थी। शुक्रवार सुबह बाढ़ का पानी उतरने के बाद बटालियन के अफसर व जवानों ने राहत की सांस ली। पानी कम होने के बाद सीआरपीएफ के डीआईजी योज्ञान सिंह बाढ़ के पानी से कैंप को हुए नुकसान का जायजा लेने यहां पहुंचे।
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