15 दिन पहले वन विभाग बलौदा द्वारा जंगल में डाले गए सीड बॉल से अब अंकुरण प्रारंभ हो गया है। जिले में सीड बाल तकनीक से पौधरोपण योजना का यह दूसरा साल है। पिछले साल भी वन विभाग ने इस विधि से पौधे रोेेपे थे, उसमें से कितने उगे यह ताे विभाग के अधिकारी नहीं बता पा रहे, लेकिन इस साल उनका दावा है कि इससे उगने वाले पौधों का रिकॉर्ड उनके पास रहेगा क्योंकि इस वर्ष जिन स्थानों पर सीड बॉल डाले गए हैं, वे चिह्नांकित भी किए गए हैं।
वन विभाग बलौदा द्वारा 15-20 दिन पहले अपने सभी 29 बीटों में 30 हजार सीड बॉल डलवाए गए हैं। जिनमें अब अंकुरण प्रारंभ हो गया है, बीज अब पौधे का रूप लेने लगे हैं। डाले गए सीड बॉल में सीरस, शीशम, हर्रा बहेरा, तेंदू, चार, इमली काजू, जामुन व बेर के बीज हैं। पिछले साल विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस तकनीक की शुरुआत की है।
जिसके तहत गोबर, मिट्टी व सुपर फास्फेट की बाल बनाकर इसके अंदर बीज डाले जाते हैं, तथा ये बाल जब एक माह की अवधि में सुख जाते हैं। इन्हें वन समिति के सदस्यों व ग्रामीणों की मदद से कम घनत्व वाले जंगलों में डाले जाते हैं। जिससे जंगलों का विस्तार भी होता है, और जंगली जानवरों के लिये फलों के रूप में भोजन भी प्राप्त होता है। बलौदा वन परिक्षेत्र के पोंड़ी दल्हा बीट में जंगली भालू, सुअर, खिसोरा पंतोरा कटरा बीट में भी भालू, हिरण व जंगली सुअर देखे जाते हैं, इसलिये इन क्षेत्रों के साथ साथ अन्य सभी बीटों में ये सीड बाॅल डाले गए हैं।
पुराना तरीका बदला इसलिए रहेगा रिकॉर्ड में
बलौदा वन परिक्षेत्र अधिकारी केदारनाथ जोगी ने बताया कि इस बार सीड बॉल डालने की तकनीक बदलने से इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं, पिछले वर्ष सीड बॉल को जंगल में फिंकवाया गया था। जिससे उसके परिणाम का पता नहीं चल पाया, लेकिन इस बार सभी बीटों में चिह्नांकित जगहों पर छोटे-छोटे गड्ढे कर उसमें सीड बॉल डाले गए हैं। जिससे हमें अपेक्षित सफलता मिली। सीड बॉल के अलावा हम कुछ स्थानों पर साग सब्जी भी लगाए गए हैं।
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