
कोरोना संक्रमण के बीच नेत्रदान पखवाड़े में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता के साथ मंगलवार से अभियान शुरू कर दिया। 15 दिन तक चलने वाले इस जागरूकता कार्यक्रम में शहर व गांवों में जाकर लोगों को नेत्रदान के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस दौरान वे पिछले साल सरगुजा जिले में नेत्रदान करने वाले लोगों का उदाहरण भी देंगे। कार्यक्रम की शुरुआत मेडिकल काॅलेज अस्पताल के नेत्र विभाग में एक संगोष्ठी के साथ की गई। बता दें कि पिछले साल जिले में तीन लोगों ने नेत्रदान किया था। संगोष्ठी के माध्यम से जिले के अंधत्व निवारण कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डाॅ. रजत टोप्पो ने कहा कि नेत्रदान से एक व्यक्ति दो लोगों के जीवन को रोशनी दे सकता है। इसे संसार में सबसे बड़ा दान माना जाता है। उन्होंने बताया कि नेत्रदान करने वाले किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजन की सहमति से उसका आंख की आई बाल को निकाला जाता है। इसके लिए एक निश्चित समय होता है। उन्होंने लोगों से इस अभियान से जुड़ने का आह्वान किया।
शहर में दो और लखनपुर में एक व्यक्ति ने किया था नेत्रदान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सरगुजा में अब तक सिर्फ तीन लोगों ने नेत्रदान किया है। तीनों नेत्रदान पिछले साल ही हुए हैं। इनमें दो व्यक्ति शहर से हैं, जबकि एक लखनपुर का है। इनकी मौत के बाद इनके परिजन ने नेत्रदान कराने सहमति दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर जाकर नेत्रदाता की आई बाल निकालकर आई बैंक भिजवाईं।
कार्निया जनित लोगों को मिलती आंखों को रोशनी
डाॅ. टोप्पो ने बताया कि कार्निया में चोट या किसी संक्रमण के कारण कई लोगों की रोशनी चली जाती है। नेत्रदान में दाता के आंखों की कार्निया निकालकर पीड़ित व्यक्ति में प्रत्यारोपित की जाती है। इसके बाद कार्निया जनित बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की आंखों में रोशनी आ जाती है। उन्होंने बताया कि नेत्रदान करने वालों की आंखों से दो लोगों को फायदा मिलता है।
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