संभाग मुख्यालय से करीब 7 किमी दूर घाटपदमूर पंचायत में स्थित उपजन कुंड के बीच उभरे हुए हिस्से को ग्रामीण सालों तक शिवलिंग का प्रतीक मानकर पूजा पाठ करते आ रहे थे, लेकिन करीब 40 साल पहले ग्रामीणों ने सावन में पूजा करने में होने वाली दिक्कत से निजात पाने यहां पर मंदिर बनवाकर उसमें शिवलिंग की स्थापना कर दी। लेकिन पूजा पाठ करने मंदिर में जाने वाले भक्तों को सावन में भगवान शिव की पूजा करने के लिए अब भी अपनी जान जोखिम में डालकर पहुंचते हैं।
मंदिर के पुजारी शंभुनाथ ने बताया कि पांच पीढ़ियों से लगातार उनका परिवार इस मंदिर में पूजा-पाठ करता आ रहा है। उन्होंने बताया कि सालों पहले घाटपदमूर पंचायत के लोग कुंड के उपरी हिस्से को शिवलिंग का प्रतिबिंब मानकर पूजा कर रहे थे। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां मंदिर बनवाकर उसमें एक शिवलिंग स्थापित किया। लेकिन 40 साल पहले मंदिर से यह शिवलिंग चोरी हो गया। जिसके बाद गांव के लोगों ने मंदिर में दूसरा शिवलिंग स्थापित करवाया। पुजारी ने बताया कि सावन में कुछ लोग जहां कुंड में ज्यादा पानी होने के चलते मंदिर के सामने कुंड के पानी में बेलपत्र और फूल चढ़ाकर पूजा पाठ कर जाते हैं तो वहीं कुछ लोग आस्था और भक्तिभाव से जान जोखिम में डाल कुंड को पार कर मंदिर पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं।
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