वैश्विक कोराेना महामारी के चलते जहां आम आदमी को नुकसान झेलना पड़ रहा है, वहीं बिजली विभाग को भी प्रतिमाह 18 करोड़ रुपये की चपत लग रही है। बकायादार बिजली का उपयोग तो कर रहे है, लेकिन पटाने में जहमत नहीं उठा रहे हैं। यदि रिकवरी की स्थिति इसी प्रकार रही तो, वर्तमान में जो विभाग सुविधा आम जन को मिल रहा है, वह बकायादारों के चलते सुविधा से हाथ धोना भी पड़ सकता है।
यानी आने वाले दिनों में जिलेवासियों को को लो-वोल्टेज, विद्युत कटौती जैसी कई समस्या से जूझना पड़ सकता है, क्योंकि बिजली बिल का भुगतान नहीं होगा, तो ये सारी सुविधा भी पर्याप्त नहीं मिलेगी। जिले को प्रतिमाह 50 लाख मेंटेनेंस के रूप में मिलता है। वह राशि भी कम हो सकती है। यदि, मेंटनेंस नहीं होगा तो, व्यवस्था में सुधार भी नहीं हो पाएगा। इधर, विभाग बकायादारों से राशि वसूलने में लगा है, फोन व एसएमएस भी भेजा जा रहा है, लेकिन रिकवरी नहीं आ पा रही है। वसूली एकदम आधी हो गई है।
जिले में है ये सुविधा : जिले को कोरबा से मिलने वाली बिजली रायगढ़ और खेदामारा के 400 किलोवाट के मेन लोड डिस्पैच सेंटर के माध्यम से जिले में पहुंचती है। तीन डिविजन ( महासमुंद , पिथौरा , सरायपाली ) बनाकर 220 किलोवाट के 2 सब स्टेशन, 132 किलोवाट के 4 सब स्टेशन एवं 33/11 किलोवाट के 99 सब स्टेशन स्थापित है।
प्रतिमाह होती थी 33 करोड़ की रिकवरी
जिले मेंं तीन डिविजन महासमुंद, पिथौर व सरायपाली है। जहां से प्रतिमाह 33 करोड़ रुपये की वसूली होती थी। वर्तमान में यह वसूली अब आधी हो गई है। जिससे विभाग परेशान है। प्रतिमाह 15 करोड़ रुपये की वसूली हो पा रही है। 18 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पा रही है। जिसके कारण परेशानी बढ़ गई है। विभाग बकायादारों को एसएमएस भेजकर बिल पटाने के लिए आग्रह कर रह है। उद्योग क्षेत्र से भी तीन करोड़ रुपये की वसूली आनी है, लेकिन उद्याेगपति कोरोना के कारण काम नहीं पटा रहे हैं।
जानिए, जिले को क्या नुकसान हो सकता है
बकायादारों द्वारा बिल का भुगतान नहीं करने पर जिले की स्थिति पिछड़ जाएगी और नए-नए कार्ययोजना का लाभ जिलेवासियों को नहीं मिल पाएगा। नए प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो पाएंगे, नए सब स्टेशन नहीं मिलेंगे, मेंटनेेंस में मिलने वाला खर्च भी कम हो जाएगा, जिसकी वजह से मिनटों में बिजली बंद की समस्या से सुविधा मिलेगी वह भी वंचित हो जाएगी।
अधिकारी बोले- मेंटेनेंस की राशि में आएगी कमी
विद्युत विभाग के कार्यपालन यंत्री महेश नायक ने बताया कि प्रतिमाह 33 करोड़ रुपये की रिकवरी होती थी, वो अब 15 करोड़ रुपये की हो रही है। यह स्थित पिछले तीन महीने से है। यदि बकायादार बिल का भुगतान नहीं करेंगे तो मेंटनेंस व अन्य सुविधा उपभोक्ताओं को देने में सक्षम नहीं हो पाएंगे। वहीं जिले में नए डेवलपमेंट भी नहीं हो पाएगा।
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