
स्वतंत्रता आंदोलन में साक्षी बने देशभक्तों की गुमला जिला में अब स्मृति शेष रह गई है। यह स्मृति है, सदर प्रखंड मुख्यालय स्थित अशोक स्तंभ। प्रखंड परिसर स्थित अशोक स्तंभ में एक ओर भारत का संविधान अंकित है, तो दूसरी ओर गुमला के तीन स्वतंत्रता सेनानी के नाम दर्ज है। जिनमें गंगा महराज, रघुवीर प्रसाद और आनंद साहू शामिल हैं। अशोक सतंभ की स्थापना देश की आजादी के 25 वर्ष पूरे होने पर राष्ट्र की ओर से भारत सरकार द्वारा तत्कालीन रांची जिला के गुमला में स्थापित किया गया है।
देश की आजादी के 25 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने कराई थी गुमला में अशोक स्तंभ की स्थापना
ऐसा नहीं है कि स्वतंत्रता आंदोलन में गुमला जिला के मात्र तीन सिपाही रहे हैं। सच तो यह है कि स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में गुमला जिला के आंदोलनकारियों की लंबी लिस्ट है। जिसमें जतरा टाना भगत, बख्तर साय, मुंडल सिंह, तेलंगा खड़िया सहित कई देशभक्तों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। अनुसार भारत में अंग्रेजों का प्रवेश 1771 ई. मेंं हुआ था। देशवासियों पर जैसे-जैसे अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ असंतोष का भावना जागृत होता गया।
देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर किए
जल, जंगल, जमीन से छीनते अधिकार और संस्कृति में होते अतिक्रमण के विरोध में बिशुनपुर प्रखंड के चिंगरी के जतरा टाना भगत ने धार्मिक सुधार जनजातीय विद्रोह आरंभ किया। लगान के विरोध में वासुदेव कोना के बख्तर साय और पहाड़ पनारी परगना के मुंडल सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया। मुरगू के तेलंगा खड़िया जिन्हें देश के नौजवानों को तलवार बाजी सिखाने का खामियाजा प्राण देकर भुगतना पड़ा। इन देशभक्तों ने देश की आजादी भले ही नहीं देखी। लेकिन इनका प्रयास रंग लाया और वर्ष 1947 में देश आजाद हो गया। अशोक स्तंभ में अंकित स्वतंत्रता सेनानी में से रघुवीर प्रसाद को जिला प्रशासन की ओर से उनके अंतिम सांस तक सम्मानित करने का काम किया गया। अब अशोक स्तंभ ही गुमला के स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृति ही शेष रह गई हैं।
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