मैनपाट की जमीन पर भू माफियाओं की नजर पड़ चुकी है। उन्होंने पहले तो माझियों की जमीन औने पौने दाम में खरीद ली। वहीं अब सरकारी जमीन पर ग्रामीणों के माध्यम से कब्जा कर पट्टा बनवाकर खरीद रहे हैं।
अकेले नर्मदापुर जनपद मुख्यालय में ही डेढ़ सौ हेक्टेयर गोचर भूमि पर तीन साल में कब्जा कर लिया गया है। जबकि पूरे नर्मदापुर में महज 195 हेक्टेयर जमीन का ही पट्टा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा राजस्व विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। शुक्रवार को ही तहसीलदार के दफ्तर के पास 10 हेक्टेयर जमीन पर 50 से अधिक की संख्या में पहुंचे लोगों ने कब्जा शुरू कर दिया। तब तहसीलदार ने कब्जा मुक्त कराया, लेकिन बाकी कब्जाधारियों को नोटिस जारी नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि मैनपाट में राजनीतिक संरक्षण की वजह से सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है। इसमें सबसे अधिक मुख्य मार्गों के किनारे की जमीन पर कब्जा कर उसकी बिक्री हो रही है। बता दें कि नर्मदापुर तहसील कार्यालय के पास शुक्रवार को लोगों ने पत्थर रखकर कब्जा करना शुरू किया। कब्जाधारियों का कहना था कि जब यहां डेढ़ सौ हेक्टेयर में दो सालों के भीतर कब्जा किया गया तो उन्हें क्यों नहीं हटाया गया। उन पर कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए वे भी कब्जा कर रहे हैं। इसके बाद बाक्साइट पत्थरों को जब्त किया गया और पुलिस का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान विवाद की स्थिति बनी रही। ग्रामीणों का कहना था कि अगर उन्हें कब्जा नहीं करने दिया जा रहा है तो कब्जा करने वालों को तत्काल हटाया जाए। सवाल उठ रहा है कि आखिर तहसीलदार और पटवारियों की आंखों के सामने करोड़ों की जमीन पर कब्जा कैसे हो गया। वहीं कब्जाधारियों को एक नोटिस तक जारी नहीं किया गया।
अतिक्रमण की शिकायत पर पुलिस के साथ पहुंचे अफसर
मैनपाट में है कई नेताओं और मंत्रियों की जमीन: पर्यटन के लिहाज से विकसित हो रहे मैनपाट में कई नेताओं और मंत्रियों के अलावा अफसरों ने भी जमीन खरीदी है। बताया जा रहा है कि कई ने तो दूसरों और अपने कार्यकर्ताओं के नाम पर बड़े-बड़े प्लाट खरीद रखे हैं। वहीं ऐसे नेताओं के संरक्षण में ही नर्मदापुर ब्लाॅक मुख्यालय की जमीन पर ग्रामीणों की आड़ में भू-माफियाओं की नजर है।
सरकारी जमीन पर प्राइवेट स्कूल बना रहे
नर्मदापुर में एक संस्था निजी स्कूल के संचालन के लिए भवन निर्माण करना चाहती है। इसके लिए उसे जमीन का आवंटन अधिकारियों ने कर दिया है। जबकि सरकारी जमीन नहीं दी जा सकती है। बताया जा रहा है उसे जितनी जमीन दी गई है। उससे अधिक में उसने भी कब्जा करने की तैयारी कर ली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दो तीन साल में सभी जगह कब्जा हो जाएगा। तब सरकारी निर्माण कार्यों के लिए जमीन नहीं मिल पाएगी।
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