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भगवान श्री राम के चरण स्पर्श से पुण्य धरा का गौरव सूरजपुर जिले को भी प्राप्त हुआ था। भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल के कुछ क्षण जिले के जंगलों में भी बिताए थे।
जहां आज भी जगह-जगह वनखंडों में इसके अवशेष बिखरे पड़े हैं। सूरजपुर जिले का भू-भाग आज भी अपने असाधारण वैभव का साक्ष्य प्रस्तुत करता है। भगवान श्रीराम ने वनवास काल में मध्यप्रदेश से लगे सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लाॅक के बिहारपुर में प्रवेश किया था। यहां नवगई में रेड़ नदी पर रकसगंडा धुआंधार जल प्रपात स्थित है। ऐसी किवदंती है कि भगवान श्रीराम के वनवास काल के समय यहां पर अनेक राक्षसों का संहार हुआ था। लिहाजा रकसगंडा का आशय प्राचीन समय से ही राक्षसों के ढ़ेर से है। रकसगंडा के पास ही राम आसन नामक स्थान है। जहां की प्राचीन मान्यता है कि वनवास काल में भगवान राम, सीता जी ने बैठकर विश्राम किया था। भगवान राम के जिले के ओड़गी ब्लाॅक में ही रकसगंडा के अलावा सीता लेखनी, लक्ष्मण पंजा सहित कुदरगढ़ में उनके चरण पड़े थे।
शिवपुर में शिवलिंग की श्रीराम ने की थी स्थापना
भगवान श्रीराम का अगला पड़ाव जिले का प्रतापपुर और सूरजपुर ब्लाॅक था। प्रतापपुर का लक्ष्मण पायन, बिलद्वार गुफा और शिवपुर तुर्रा में हुआ। शिवपुर में स्थित शिव लिंग में शिव और पार्वती दाेनों के रूप स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। कहा जाता है कि है कि भगवान श्रीराम ने वनवास काल के समय इस दुर्लभ शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी।
प्रभु के आगमन से सूर्य से सूरजपुर पड़ा था नाम
रामायण काल में सूरजपुर एक महत्वपूर्ण नगर के रूप में विख्यात था। सूर्यवंशी भगवान श्रीराम के इस स्थान पर आगमन करने से इसका नाम सूर्य से सूरजपुर हो गया। सूरजपुर में स्थित मंदिर में राम, सीता लक्ष्मण की मूर्ति की स्थापना की गई है। रामजी का आगमन होने से इस स्थल से गुजरने के साक्ष्य के रूप में स्थापित किया गया है।
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