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Sunday, August 30, 2020

आत्म शुद्धि के लिए विकार छोड़ना ही त्याग धर्म

जैन धर्म का दशलक्षण महापर्व सादगी रुप से मनाया जा रहा है। 10 दिनों तक चलने वाले महापर्व के आठवें दिन रविवार को उत्तम त्याग धर्म की विधि कर पूजा की गई। रामगढ़ के श्री दिगंबर जैन मंदिर और रांची रोड के श्रीपारसनाथ जिनालय में जैन धर्मावलंबियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर उत्तम त्याग धर्म की विधि की। वहीं,धर्मावलंबियों ने अपने घरों में पर्व का अनुष्ठान किया। रामगढ़ के श्रीदिगंबर जैन मंदिर में प्रथम जलाभिषेक मांगीलाल चूड़ीवाल व शांतिधारा विधि इंद्रमणि देवी चूड़ीवाल ने किया और रांची रोड के जिनालय में प्रथम जलाभिषेक विधि जीवनमल जंबू कुमार पाटनी, व शांतिधारा विधि उषा अजमेरा ने की। पंडित सुदेश जी जैन ने बताया कि आत्मशुद्धि के उद्देश्य से विकार भाव छोड़ना और स्व-पर उपकार की दृष्टि से धन आदि का दान करना त्याग धर्म है। अतः भोग में लाई गई वस्तु को छोड़ देना भी त्याग धर्म है।



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