मांडू के कलाकार राजेंद्र यादव अपनी अद्भुत कलाकृतियों के साथ वेस्ट मटेरियल से माॅडल बनाने में पारंगत हैं। जंगलों में घूमने पर मिली पेड़ाें की टहनियाें व तनाें से पशु, पक्षी की आकृति भी बना चुके हैं। मूलत: नालछा के रहने वाले यादव ने अब तक 300 से ज्यादा आकृतियां बनाकर अपने घर में रखी हैं।
फुर्सत के पल में मांडू व आसपास के जंगलों में जाकर पेड़ों की टहनियों से मानव आकृति की पहचान करते हैं। इनकी एकत्रित की गई हर आकृति एक संदेश देती है।
मानव आकृति में उन्होंने खड़ी लड़की को फैशन से जोड़ा है। आदिवासी लड़की को भूख से जोड़ा है। लड़की डांस कर रही है, जानवरों को चलते हुए, दो मनुष्य आपस में बात करते हुए जैसे कई आकृतियां हैं।
हालांकि उन्हें कसक है कि मप्र सरकार और जिला प्रशासन ने अब तक उन्हें किसी भी मंच पर एक माैका तक नहीं दिया। दुनिया के कलाकारों की कला से हटकर प्राचीन संस्कृति, लोक संस्कृति, आदिवासी संस्कृति व प्राकृतिक कलाकृतियों का संग्रह इनके पास है। पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित विष्णु चिंचालकर को आदर्श मानकर उन्हीं के पैटर्न पर अपनी कला को मूर्त रूप दे रहे हैं।
इन बड़े कलाकारों के साथ काम किया है
यादव ने भारत भवन में देश के कलाकार जय स्वामीनाथन, एमएफ हुसैन, चित्रकार रजा, मंजीत बाबा, रामकुमार, अंबादास, मृणाली मुखर्जी, सुधीर पटवर्धन जैसे कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया है। छत्तीसगढ़ में जो आदिवासी गौण कला बनाई जाती है उसका हूबहू चित्रण भी यादव कर लेते हैं।
माैका मिलने पर संग्रहालय में रखेंगे कलाकृति
यादव ने बताया अगर माैका मिलेगा ताे मांडू के डायनासोर पार्क के समीप जनजाति संग्रहालय में अपनी बनाई हुई सभी कलाकृति काे रखूंगा। साथ ही प्रदेश की कई जनजाति लोक संस्कृति के कलाकारों से जुड़े हाेने से स्थानीय संग्रहालय में भी एक उपलब्धि देखने काे मिलेगी।
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