सूर्य उपासना और लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत बुधवार को नहाय-खाय के साथ होगी। जिले में पर्व की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। मंगलवार काे श्रद्धालुओं ने नहाय-खाय की तैयारी के लिए बाजार पहुंच कर लौकी, चने की दाल, अरवा चावल आदि की खरीदारी की। काेराेनाकाल में भी पर्व के लिए लाेगाें में खूब उत्साह है। राज्य सरकार ने पहले नदियाें, तालाबाें के घाटाें पर छठ की अनुमति नहीं दी थी। हालांकि, शहर के तालाबाें के घाटाें काे पर्व के लिए साफ करने में युवा जुटे हुए थे।
मंगलवार काे देर शाम राज्य सरकार से घाटाें पर जाकर छठ करने की इजाजत मिलने के बाद व्रतियाें में निश्चिंतता आ गई। वे बुधवार काे स्नान-ध्यान के बाद चार दिवसीय व्रत का संकल्प करेंगे। फिर चावल, चने की दाल, लौकी की सब्जी तैयार कर उसका भोग लगाएंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे।
गुरुवार को खरना का अनुष्ठान करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत करेंगे। शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य काे अर्घ्य अर्पित करेंगे। शनिवार काे उदीयमान सूर्य काे अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही यह महापर्व पूरा हाेगा।
श्रद्धा भाव से पर्व करने पर संतान, धन और अच्छी सेहत की होती है प्राप्ति
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोक पर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाता है। हालांकि, प्रवासी भारतीयों के साथ यह दुनिया के हर काेने में पहुंच चुका है। श्रद्धा भाव से यह व्रत करने पर संतान, धन और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है।
बाजार में लाैकी 50 रुपए किलाे तक बिकी
नहाय-खाय के अनुष्ठान में कद्दू-भात का भाेग लगाने की परंपरा है। यही वजह है कि मंगलवार को जिले के बाजाराें में लाैकी की काफी मांग रही। आम दिनाें में 20 रुपए प्रति किलो बिकनेवाली लाैकी की कीमत पुराना बाजार, स्टील गेट, बरटांड़, हीरापुर, बेकारबांध, पुलिस लाइन में 40 से 50 रुपए प्रति किलो पहुंच गई। नया आलू 80 रुपए और फूलगाेभी 40 से 50 रुपए प्रति पीस बिकी।
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