नदी-तालाब में महापर्व छठ मनाने पर राेक का मंगलवार को भी विरोध हुआ। बेकारबांध में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सड़काें पर उतरकर प्रदर्शन किया। छठ के लिए बेकारबांध राजेंद्र सराेवर काे खाेलने की मांग काे लेकर महिलाएं सड़क पर बैठ गईं। करीब आधे घंटे तक महिलाओं ने सड़क जाम रखी। सरकार के निर्देश का विराेध करने वालाें में ज्यादातर महिलाएं छठव्रती हैं, जाे हर साल राजेंद्र सराेवर में व्रत करने के साथ भगवान सूर्य काे अर्घ्य अर्पित करती हैं।
पूर्व पार्षद अशाेक पाल, सुरेंद्र यादव, संताेष सिंह सहित अन्य स्थानीय नेताओं ने भी बेकारबांध पहुंच लाेगाें की मांग का समर्थन किया। माैके पर सुषमा देवी, उर्मिला देवी, बिंदु देवी, पुतनी देवी, शीला देवी, फूलाे देवी, रीता देवी के अलावा मनाेज यादव, अशाेक पंडित, प्रमाेद सिंह आदि मौजूद थे।
तालाब में खड़े होकर लोगों ने कहा
घाटों पर ही अर्घ्य देने की रही है परंपरा इस पर रोक लगाना कतई ठीक नहीं
युवा संघर्ष मोर्चा जनवादी के नेतृत्व में मनईटांड़ छठ तालाब में महिला-पुरुषाें ने पानी में खड़े होकर फैसले का विरोध किया। मोर्चा के अध्यक्ष दिलीप सिंह ने कहा कि छठ पर्व में घाटों से अर्घ्य देने की परंपरा वर्षों पुरानी है। नियमों की कड़ाई से पालन कराते हुए व्रतियों, श्रद्धालुओं को घाटों पर जाने की स्वीकृति सरकार को प्रदान करनी चाहिए। माैके पर पप्पू सिंह, बॉबी पांडेय, हीरा साव, संतोष कुशवाहा आदि थे।
मुनीडीह से पैदल पहुंच सौंपा ज्ञापन, कहा
क्वार्टरों में रहते हैं, अर्घ्य देने के लिए हमारे पास जगह नहीं, हम कहां जाएं
मुनीडीह के लाेग पदयात्रा करते हुए धनबाद पहुंचे। लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त उमाशंकर सिंह काे ज्ञापन साैंपा। उन्होंने कहा कि छठ एक पर्व नहीं, बल्कि यह लाेगाें की आस्था के साथ जुड़ा हुआ है। मुनीडीह में ज्यादातर लाेग क्वार्टराें में रहते है। उनके पास महापर्व करने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं हैं। सरकार काे पुनर्विचार करना चाहिए। माैके पर गुड्डू वर्मा, सराज कुमार, बलराम कुमार, लल्लू सिंह आदि थे।
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