झारखंड में वर्ष 2015 के बाद पहली बार डाॅक्टराें की नियुक्ति हाे रही है। बुधवार काे नामकुम के आईपीएच सभागार में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने 367 डाॅक्टराें काे नियुक्ति पत्र दिया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य सचिव डाॅ. नितिन कुलकर्णी ने कहा कि डाॅक्टरी के पेशे में आधे लाेग इसलिए आते हैं कि उन्हें काम न करना पड़े और आधे इसलिए कि शादी में दहेज बढ़ जाए। जबकि यह सेवा का क्षेत्र है। इस बयान पर विवाद शुरू हाे गया है। आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ. अजय सिंह ने कहा कि लगता है कि यही साेचकर डाॅ. कुलकर्णी ने पहले डाॅक्टरी की पढ़ाई की। ज्यादा रेट बढ़ाने के लिए वह आईएएस भी बन गए।
काेराेनाकाल में डाॅक्टराें का काम सराहनीय- स्वास्थ्य मंत्री
कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि काेराेना काल में सरकारी डाॅक्टराें और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लाेगाें का काम सराहनीय है। सबकी मेहनत का ही परिणाम है कि आज राज्य के 98 फीसदी काेराेना मरीज ठीक हाे चुके हैं। उम्मीद है कि नविनयुक्त डाॅकटर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्राें में अपनी सेवा देकर सरकार के स्तंभ के रूप में काम करेंगे। वहीं स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि नवनियुक्त डाॅक्टराें काे ग्रामीण क्षेत्र में काम करना है। पारिवारिक जीवन पर असर न पड़े, इसलिए पति-पत्नी काे एक ही जिले में पाेस्टिंग दी गई है। उन्हाेंने डाॅक्टराें से कहा कि आप अस्पतालाें में उपस्थित रहें और मरीजाें की सेवा करें।
367 डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र, पोस्टिंग से कई नाखुश
नियुक्ति पत्र मिलने के बाद कई डाॅक्टर अपनी पाेस्टिंग से नाराज दिखे। इनमें से अधिकतर डाॅक्टर रांची में ही काम करना चाहते हैं, लेकिन इन्हें पहले ग्रामीण क्षेत्राें में भेजा जाएगा। नई नियुक्ति के साथ ही अब राज्य के सरकारी अस्पतालाें में कुल 2215 डाॅक्टर हाे गए हैं, जबकि स्वीकृत पद 3088 है। अब भी डाॅक्टराें के 873 पद खाली हैं। इस माैके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक रविशंकर शुक्ला भी मौजूद थे।
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